तुम अगर कविता बनो तो, गीत मैं बन जाऊंगा।
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तुम अगर कविता बनो तो, गीत मैं बन जाऊंगा।
तुम अगर सरगम बनो, संगीत मैं बन जाऊंगा ।।
मैं हृदय का राग बनकर, गुनगुनाऊँगा तुम्हें ।
तुम मेरे मन में बहो तो, मीत मैं बन जाऊंगा ।।
-जगदीश शर्मा सहज
तुम अगर कविता बनो तो, गीत मैं बन जाऊंगा।
तुम अगर सरगम बनो, संगीत मैं बन जाऊंगा ।।
मैं हृदय का राग बनकर, गुनगुनाऊँगा तुम्हें ।
तुम मेरे मन में बहो तो, मीत मैं बन जाऊंगा ।।
-जगदीश शर्मा सहज