*बादल चाहे जितना बरसो, लेकिन बाढ़ न आए (गीत)*
हे ! भाग्य विधाता ,जग के रखवारे ।
दूर जाकर क्यों बना लीं दूरियां।
जी रहे है तिरे खयालों में
जब तक प्रश्न को तुम ठीक से समझ नहीं पाओगे तब तक तुम्हारी बुद
दूर अब न रहो पास आया करो,
मैं अपने सारे फ्रेंड्स सर्कल से कहना चाहूँगी...,
दोहे- साँप
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मौसम और कुदरत बर्फ के ढके पहाड़ हैं।
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
मुद्दतों बाद मिलते पैर लड़खड़ाए थे,
ग़म बहुत है दिल में मगर खुलासा नहीं होने देता हूंI
विचारिए क्या चाहते है आप?
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
■ कब तक, क्या-क्या बदलोगे...?
रंजिश हीं अब दिल में रखिए
जो व्यक्ति रथयात्रा में रथ पर विराजमान श्री कृष्ण, बलराम और
मैं
Artist Sudhir Singh (सुधीरा)