कर्मण्य
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दुनिया विश्राम स्थल नहीं, बल्कि कार्यस्थल है, ज़िंदगी विचलने के लिए नहीं बल्कि कुछ कर दिखाने के लिए है। संसार का हर कण अद्वितीय है उसकी अपनी उपयोगिता है, किसी के लिए कोई चीज़ बेकार तो कोई बेकार चीजों का शिल्पकार है।
परिवार व्यक्ति की प्रथम पाठशाला होती है जहाँ से वो सीखना शुरू करता है अच्छे संस्कार मिलते हैं