जीवन के उलझे तार न सुलझाता कोई,
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जीवन के उलझे तार न सुलझाता कोई,
न कोई बुनता है।
उसकी झूठी ख़ामोशी भी है बोलती,
मेरे सच्चे अल्फ़ाज़ भी न
कोई सुनता है।
प्रिया प्रिंसेस पवाँर
स्वरचित,मौलिक
नियर द्वारका मोड़,
नई दिल्ली-78
जीवन के उलझे तार न सुलझाता कोई,
न कोई बुनता है।
उसकी झूठी ख़ामोशी भी है बोलती,
मेरे सच्चे अल्फ़ाज़ भी न
कोई सुनता है।
प्रिया प्रिंसेस पवाँर
स्वरचित,मौलिक
नियर द्वारका मोड़,
नई दिल्ली-78