जिधर भी देखो , हर तरफ़ झमेले ही झमेले है,
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जिधर भी देखो , हर तरफ़ झमेले ही झमेले है,
जिंदगी… में खुशियाँ कम और ग़मों के मेले हैं|
डोर में _क़राबत¹ के , न उलझे थे…तो अच्छे थे,
सुखी रहते हैं वे लोग, जो फक्कड़ हैं अकेले हैं|
ख़ुद को मौसम के अनुरूप ढाल लीजिये ज़नाब,
यहाँ सर्द रातें , तेज़ बारिश और लू के थपेड़े हैं|
दरिया पार करते वक़्त,पतवार अपने साथ रखना,
जितने भी लोग डूबे हैं ,किसी “निज” के धकेले हैं
सृष्टि के अंत …तक, लिंगभेद मिटा नही पाओगे,
ये वो _ज़हर है… जो लोगों के रगों में फैले हैं…|