“जिंदगी में गम ना हो तो क्या जिंदगी”
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जिंदगी में गम ना हो तो क्या जिंदगी
आखिर गुलाब कांटों के बीच ही खिलते है
इश्क़ हो तो शमा और परवाने जैसा हो
जलने के बाद ही सही हर हाल में मिलते है
ज़ख्म पर ज़ख्म दिए जाती है जिंदगी
हम भी हौसलों के दर्जी है बार बार सिलते है
_ना आंधी आयी ना तूफ़ान यहाँ आया है _
पेड़ों की शाखों पर पत्ते क्यों कईं बार हिलते है
©ठाकुर प्रतापसिंह” राणाजी”
सनावद (मध्यप्रदेश)