ज़हन खामोश होकर भी नदारत करता रहता है।
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ज़हन खामोश होकर भी नदारत करता रहता है।
फक़द इक इश्क़ की तेरे चाहत करता रहता है।
ये सर अब झुक गया मेरा इबादत में खुदा तेरी ।
तेरे ही ज़िक्र का लवों पर तेरा ही नाम रहता है।।
ज़हन खामोश होकर भी नदारत करता रहता है।
फक़द इक इश्क़ की तेरे चाहत करता रहता है।
ये सर अब झुक गया मेरा इबादत में खुदा तेरी ।
तेरे ही ज़िक्र का लवों पर तेरा ही नाम रहता है।।