*** चल अकेला…….!!! ***

” न आयेगा कोई इधर मदद करने …
बस कुछ रोशनी के इशारे चलने होंगे…..!
पांवों में होंगे थकान….
मन भी होगा कुछ परेशान…..;
नजरों में उम्मीद के झलक भी…
ओझल होने लगेंगे….!!
अनचाहे कभी इधर…
कभी उधर चलने… ,
चलने के इशारे होंगे….!
मन डगमगा…
पतझड़ मौसम के हवाले होने लगेंगे….!!
शरारती हवाओं के….
उलझाने वाली झोंकें होंगे….!
असंतुलित विचार…
कुछ प्रबल-प्रफुल्लित होंगे….;
मन भी कुछ विचलित होंगे…..!!
फिर भी तुझे संभलने हैं…
इरादे अपने नहीं बदलने हैं…..!
हो इस राह में…
कोई गिरि-गहवर….,
मन-विचार संतुलित कर….;
एक अकेला राह गढ़ने होंगे….!!
न आयेगा कोई इधर मदद करने…
बना स्वयं को अपने हमसफर…..,
बस कुछ रोशनी के इशारे चलने होंगे…!
खुद के सहारे यहां से निकलने होंगे…!! ”
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* बी पी पटेल *
बिलासपुर ( छ. ग. )
१७ / ०७ / २०२२