Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Feb 2024 · 1 min read

चला गया

दुःख की वह प्रस्तावना लिखकर चला गया
शैली निगमन भावना लिखकर चला गया
क्या लिखूँ क्षणों को जिसमें मैं स्वयं नही
मैं इक अबूझ कामना लिखकर चला गया
टकरा के पूछता हूँ मैं घर की दीवारों से
क्यूँ अपनों को यूँ बाँटना लिखकर चला गया
माना है उसके हाथ में खुशियों की लकीरें
क्यों अपनी वो दुर्भावना लिखकर चला गया
समझेगा मुझे कौन अब मुझे कौन पढ़ेगा
मुझको हठयोग साधना लिखकर चला गया
मैं ग्रन्थ हूँ अभिभूत व्याकरण लिए हुए
पर वो मुझे दुःख माँजना लिखकर चला गया
मेरी है ‘महज’ कामना दुनिया मुझे पढ़े
कुछ अंश मन सुहावना लिखकर चला गया

Language: Hindi
1 Like · 171 Views
Books from Mahendra Narayan
View all

You may also like these posts

जिंदगी - चौराहे - दृष्टि भ्रम
जिंदगी - चौराहे - दृष्टि भ्रम
Atul "Krishn"
यौवन
यौवन
Ashwani Kumar Jaiswal
उपासक लक्ष्मी पंचमी के दिन माता का उपवास कर उनका प्रिय पुष्प
उपासक लक्ष्मी पंचमी के दिन माता का उपवास कर उनका प्रिय पुष्प
Shashi kala vyas
تونے جنت کے حسیں خواب دکھائے جب سے
تونے جنت کے حسیں خواب دکھائے جب سے
Sarfaraz Ahmed Aasee
नव वर्ष के आगमन पर याद तुम्हारी आती रही
नव वर्ष के आगमन पर याद तुम्हारी आती रही
C S Santoshi
सोचता हूँ कभी कभी
सोचता हूँ कभी कभी
हिमांशु Kulshrestha
यकीं के बाम पे ...
यकीं के बाम पे ...
sushil sarna
- अब तक था में आम अब खास हो जाऊं -
- अब तक था में आम अब खास हो जाऊं -
bharat gehlot
मुझे पता है तुम सुधर रहे हो।
मुझे पता है तुम सुधर रहे हो।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
आध्यात्मिक व शांति के लिए सरल होना स्वाभाविक है, तभी आप शरीर
आध्यात्मिक व शांति के लिए सरल होना स्वाभाविक है, तभी आप शरीर
Ravikesh Jha
अन्तर्मन की विषम वेदना
अन्तर्मन की विषम वेदना
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
दोस्तों!
दोस्तों!
*प्रणय*
किसी भी बात पर अब वो गिला करने नहीं आती
किसी भी बात पर अब वो गिला करने नहीं आती
Johnny Ahmed 'क़ैस'
कुछ पुरुष होते है जिन्हें स्त्री के शरीर का आकर्षण नहीं बांध
कुछ पुरुष होते है जिन्हें स्त्री के शरीर का आकर्षण नहीं बांध
Ritesh Deo
मैथिली और बंगाली
मैथिली और बंगाली
श्रीहर्ष आचार्य
पतझड़ और हम जीवन होता हैं।
पतझड़ और हम जीवन होता हैं।
Neeraj Agarwal
मेरी पावन मधुशाला
मेरी पावन मधुशाला
Rambali Mishra
"आईना रहने दो"
Dr. Kishan tandon kranti
काश की रात रात ही रह जाए
काश की रात रात ही रह जाए
Ashwini sharma
23/177.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/177.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
fake faminism
fake faminism
पूर्वार्थ
*जग से चले गए जो जाने, लोग कहॉं रहते हैं (गीत)*
*जग से चले गए जो जाने, लोग कहॉं रहते हैं (गीत)*
Ravi Prakash
नया  साल  नई  उमंग
नया साल नई उमंग
राजेंद्र तिवारी
जिंदगी हमको हँसाती रात दिन
जिंदगी हमको हँसाती रात दिन
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
तेवरीः जन-अनुभूतियों का प्रसव + अरुण लहरी
तेवरीः जन-अनुभूतियों का प्रसव + अरुण लहरी
कवि रमेशराज
हम लहू आशिकी की नज़र कर देंगे
हम लहू आशिकी की नज़र कर देंगे
Dr. Sunita Singh
मेरी नज़र
मेरी नज़र
कुमार अविनाश 'केसर'
मैं प्रेम लिखूं जब कागज़ पर।
मैं प्रेम लिखूं जब कागज़ पर।
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
हाथों में हैं चूड़ियाँ,
हाथों में हैं चूड़ियाँ,
Aruna Dogra Sharma
Friendship Day
Friendship Day
Tushar Jagawat
Loading...