चरैवेति चरैवेति का संदेश
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/fe25eba75c14fe2a158dc75c8825f7e9_737a1a0bc56d996d82fd65465d5ecd27_600.jpg)
तदवीर से ही फिर गढ़ी जा
सकती किस्मत की लकीरें
किताबों में कर्म के महत्व पे
दर्ज हैं महापुरुषों की तकरीरें
कर्मवीर सदा पलटते रहे हैं
समूची दुनिया का इतिहास
उनके कर्म में परिलक्षित हुआ
एकनिष्ठ निरंतरता का अभ्यास
कुरुक्षेत्र में अर्जुन को निष्काम
कर्म का कृष्ण दे गए उपदेश
साथ ही बता गए कर्म गति
से मिलने वाले फल विशेष
चरैवेति चरैवेति का संदेश
युगों से देते रहे हमें पुराण
फिर भी हम अन्यत्र खोजते
रहे किस्मत के द्वार तमाम
लक्ष्य तय करके जो कोई भी
करता निरंतर ठीक से कर्म
सफलता उसका वरण कर
निभाती अपना सच्चा धर्म