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18 Jan 2023 · 1 min read

गुरुवर

गुरुवर के निर्मल चरण, करते ह्रदय प्रकाश ।
श्रुतियों की वाणी सुना, करते विमल विकास।
करते विमल विकास, नयन कमलों को खोलें।
गुरुवर भानु समान,शारदा माता बोलें।
कहें प्रेम कविराय, दानी जन हैं तरूवर।
मथकर मन में रमें,ध्यान धारकर गुरुवर।

डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम

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Books from डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम

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