*केले खाता बंदर (बाल कविता)*
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/8c4c68047971954021c738821d3ba624_461426ddb247cba7c07ba723c9fb3e30_600.jpg)
केले खाता बंदर (बाल कविता)
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°
दस-दस केले खाता बंदर
छिलके वहीं गिराता बंदर
बल खाती बंदरिया आई
रपटी छिलके पर टकराई
सिर फूटा तो शोर मचाया
बंदर को डॉंटा-समझाया
केले चाहे जितने खाओ
छिलके लेकिन नहीं गिराओ
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451