Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Nov 2022 · 1 min read

कुछ वक्त के लिए

कुछ वक्त के लिए रुक जाते तो,शाम सुहानी हो जाती।
हाथों में डालें हाथ चलते तो,बात रूमानी हो जाती।

कुछ दिल की बातें तुम कहते,कूछ बातें मैं कह लेती
बातों बातों में यूं ही , शुरू नयी कहानी हो जाती।

गर्म चाय के कुल्हड़ संग,हाथों को हम गर्माते
भीगे भीगे से मौसम में , बेताब जवानी हो जाती।

सरसराहट सूखे पत्तों की,राज ए इश्क न बयां कर दे
अल्हड़ सी उस उम्र में हमसे, हरकत बचकानी हो जाती।

सुरिंदर कौर

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 57 Views
You may also like:
नाशुक्रा
नाशुक्रा
Satish Srijan
Writing Challenge- अंतरिक्ष (Space)
Writing Challenge- अंतरिक्ष (Space)
Sahityapedia
परिवार
परिवार
Abhishek Pandey Abhi
आदमी आदमी से डरने लगा है
आदमी आदमी से डरने लगा है
VINOD KUMAR CHAUHAN
मुक्तक
मुक्तक
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
तुम्हें आभास तो होगा
तुम्हें आभास तो होगा
Dr fauzia Naseem shad
There are only two people in this
There are only two people in this
Ankita Patel
बात क्या है जो नयन बहने लगे
बात क्या है जो नयन बहने लगे
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
पथिक मैं तेरे पीछे आता...
पथिक मैं तेरे पीछे आता...
मनोज कर्ण
इंसान जीवन क़ो अच्छी तरह जीने के लिए पूरी उम्र मेहनत में गुजा
इंसान जीवन क़ो अच्छी तरह जीने के लिए पूरी उम्र...
अभिनव अदम्य
पेड़ नहीं, बुराइयां जलाएं
पेड़ नहीं, बुराइयां जलाएं
अरशद रसूल /Arshad Rasool
गुजारे गए कुछ खुशी के पल,
गुजारे गए कुछ खुशी के पल,
Arun B Jain
छुपाती मीडिया भी है बहुत सरकार की बातें
छुपाती मीडिया भी है बहुत सरकार की बातें
Dr Archana Gupta
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में  काशी छात्र परिषद का गठन
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में काशी छात्र परिषद का गठन
Ravi Prakash
भगतसिंह से सवाल
भगतसिंह से सवाल
Shekhar Chandra Mitra
एहसास
एहसास
Er.Navaneet R Shandily
प्रकाश
प्रकाश
Saraswati Bajpai
देख रहा था
देख रहा था
Mahendra Narayan
ईश्वर से यही अरज
ईश्वर से यही अरज
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
जय माँ जगदंबे 🙏
जय माँ जगदंबे 🙏
डॉ.सीमा अग्रवाल
मैं तुम और हम
मैं तुम और हम
Ashwani Kumar Jaiswal
हम उसी समाज में रहते हैं...जहाँ  लोग घंटों  घंटों राम, कृष्ण
हम उसी समाज में रहते हैं...जहाँ लोग घंटों घंटों राम,...
ruby kumari
जीवन एक गुलदस्ता ..... (मुक्तक)
जीवन एक गुलदस्ता ..... (मुक्तक)
Kavita Chouhan
अपनी सीमाओं को लांगा
अपनी सीमाओं को लांगा
कवि दीपक बवेजा
💐प्रेम कौतुक-348💐
💐प्रेम कौतुक-348💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
करते रहे हो तुम शक हम पर
करते रहे हो तुम शक हम पर
gurudeenverma198
"कुछ अधूरे सपने"
MSW Sunil SainiCENA
परिणय के बंधन से
परिणय के बंधन से
Dr. Sunita Singh
Finally, the broken souls have found each other.
Finally, the broken souls have found each other.
Manisha Manjari
शायरी
शायरी
goutam shaw
Loading...