कुछ कह न सका अथरों से तभी:: जिते द्रकमलआनंद( पोस्ट१०७)
जब कुछ कह न सका अथरों से
तभी लेखनी कर में आयी ।।
कुछ ऐसा हो गया हमारा तुमसे —
यह सम्बन्ध प्यार का ,
शब्दो् में अव्यक्त रहे जो —
पतझर में दुखडा बहार का ।
मैंनै तो हर बात तुम्हारी सौगंधों की
भॉति निभाायी ।।
जब कुछ कह न सका अधरों से
तभी लेखनी कर में आयी ।।
—- जितेंद्रकमलआनंद