Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Nov 2023 · 1 min read

कुछ अपनें ऐसे होते हैं,

कुछ अपनें ऐसे होते हैं,
जो दिलों में घाव देकर,
मरहम लगाने का काम करते हैं।
कुछ बातें ऐसे करते हैं ,
जो चुभते तो सीनें में है।
पर उन्हें लगता है ,
वे बातें प्यार भरी करते हैं।
न कहते हुए भी सब कह जातें हैं,
दिल में कितनी जगह है ये बता जाते हैं।
समझते हैं सभी को ना समझ वे,
पर खुद ना समझ होते है।
क्या बताए कुछ अपनें ऐसे होते हैं।
…….✍️ योगेन्द्र चतुर्वेदी

1 Like · 624 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

आओ ऐसा दीप जलाएं...🪔
आओ ऐसा दीप जलाएं...🪔
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
दिल मेरा एक परिंदा
दिल मेरा एक परिंदा
Sarita Shukla
3444🌷 *पूर्णिका* 🌷
3444🌷 *पूर्णिका* 🌷
Dr.Khedu Bharti
वैसे जीवन के अगले पल की कोई गारन्टी नही है
वैसे जीवन के अगले पल की कोई गारन्टी नही है
शेखर सिंह
वटसावित्री
वटसावित्री
Rambali Mishra
"ढूँढ़िए"
Dr. Kishan tandon kranti
काश, वो बचपन के दिन लौट आए...
काश, वो बचपन के दिन लौट आए...
Rati Raj
Mental health is not a luxury but a necessity .
Mental health is not a luxury but a necessity .
पूर्वार्थ
सज सवंर कर श्रीमती जी ने
सज सवंर कर श्रीमती जी ने
Chitra Bisht
दुनिया रंग दिखाती है
दुनिया रंग दिखाती है
Surinder blackpen
दुआ सलाम न हो पाए...
दुआ सलाम न हो पाए...
अरशद रसूल बदायूंनी
कदम आगे बढ़ाना
कदम आगे बढ़ाना
surenderpal vaidya
तेवरी में रागात्मक विस्तार +रमेशराज
तेवरी में रागात्मक विस्तार +रमेशराज
कवि रमेशराज
राधा-मोहन
राधा-मोहन
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
क्रोध
क्रोध
Durgesh Bhatt
मुहब्बत का इज़हार मांगती ज़िंदगी,
मुहब्बत का इज़हार मांगती ज़िंदगी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
गर्म दोपहर की ठंढी शाम हो तुम
गर्म दोपहर की ठंढी शाम हो तुम
Rituraj shivem verma
कुदरत के रंग.....एक सच
कुदरत के रंग.....एक सच
Neeraj Kumar Agarwal
sp 75 धीरे-धीरे समझ में आया
sp 75 धीरे-धीरे समझ में आया
Manoj Shrivastava
नववर्ष में
नववर्ष में
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
क्या कहूं?
क्या कहूं?
शिवम राव मणि
ग़ज़ल /
ग़ज़ल /
ईश्वर दयाल गोस्वामी
सफर में चाहते खुशियॉं, तो ले सामान कम निकलो(मुक्तक)
सफर में चाहते खुशियॉं, तो ले सामान कम निकलो(मुक्तक)
Ravi Prakash
लोगों के रिश्मतों में अक्सर
लोगों के रिश्मतों में अक्सर "मतलब" का वजन बहुत ज्यादा होता
Jogendar singh
14, मायका
14, मायका
Dr .Shweta sood 'Madhu'
उम्मीद से सजे ये छोटी सी जिंदगी
उम्मीद से सजे ये छोटी सी जिंदगी
Sarla Mehta
हमसफ़र 2
हमसफ़र 2
डिजेन्द्र कुर्रे
गणेश वंदना (धत्तानंद छंद )
गणेश वंदना (धत्तानंद छंद )
guru saxena
कामनाओं का चक्र व्यूह
कामनाओं का चक्र व्यूह
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
Loading...