किसी आंख से आंसू टपके दिल को ये बर्दाश्त नहीं,
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किसी आंख से आंसू टपके दिल को ये बर्दाश्त नहीं,
एक ज़रा सी बारिश में दिल मिट्टी सा गल जाता है।
अश्क़ किसी के पोंछ के अपने रुसवा होने की रूदाद,
जिस काग़ज़ पर लिख देता हूं वो काग़ज़ जल जाता है।।
■प्रणय प्रभात■