कितना ठंडा है नदी का पानी लेकिन
कितना ठंडा है नदी का पानी लेकिन
आज सूरज की रोशनी ज्यादा तेज है,
ठोकरें खाई तुमने तो तुम्हें अंदाजा हुआ
मैं तुमसे कहता रहता था जमाना तेज है
✍कवि दीपक सरल
कितना ठंडा है नदी का पानी लेकिन
आज सूरज की रोशनी ज्यादा तेज है,
ठोकरें खाई तुमने तो तुम्हें अंदाजा हुआ
मैं तुमसे कहता रहता था जमाना तेज है
✍कवि दीपक सरल