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26 May 2023 · 1 min read

काग़ज़ ना कोई क़लम,

काग़ज़ ना कोई क़लम,
ना था कोई फ़ोन
तब भी राधाकृष्ण थे,
बजी प्यार की टोन
—महावीर उत्तरांचली

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Books from महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali

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