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11 Feb 2024 · 2 min read

व्यंग्य कविता- “गणतंत्र समारोह।” आनंद शर्मा

व्यंग्य कविता- “गणतंत्र समारोह।”
आनंद शर्मा

बड़ी अंडाकार मेज़
के चारों तरफ
करीब बीस गणमान्य
विराजमान थे।
टेबल पर चाय समोसा
ढोकला बर्फी यानी
चाय पार्टी के
सारे समान थे।
एजेंडा था
गणतंत्र दिवस कैसे मनाया जाए?
झंडा फहराया जाए या लहराया जाए
ड्रेस कोड, मेल और फीमेल
हलवाई, मिठाई
गाना, बजाना सहित
सब विषयों पर चर्चा
का प्रस्ताव था,
क्योंकि समारोह शब्द से
कमोबेश सभी को लगाव था।

तीन घंटे की गहन मंत्रणा
पाँच प्लेट समोसे,
दस प्लेट ढोकले,
और तीस कप
चाय का हुआ क्षय था
उसके बाद सब तय था,
मिठाई का ठेका
कल्लू हलवाई को
दिया जायेगा।
बदले में मिनरल वाटर
फ्री में लिया जाएगा।
फ्री पानी के इनवॉइस से,
नमकीन का भुगतान होगा।
इस तरह लगभग
मुफ्त में जलपान होगा।
चार लड्डुओं की
पैकिंग का ठेका,
दुर्गा स्वीट्स के
नाम किया जाएगा।
और कार्यक्रम का
मुख्य प्रायोजक बना कर,
लड्डुओं के आलावा
उस से पचास हज़ार
अलग से लिया जाएगा।
गलती से भी किसी का
कुछ नुकसान न हो,
ये आशंका भी
बड़े बाबू ने दूर कर दी।
उन्होंने आयोजन के बदले
पूरे स्टाफ की
एक वैकल्पिक छुट्टी
मंज़ूर कर दी।

अब बचा था चीफ गेस्ट
यही था सबसे मुश्किल टेस्ट
एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया
छोटा सा था-
आए तो कुछ लेकर आए।
जाए तो कुछ देकर जाए।
जब मशक्कत के बाद भी
कोई फाइनल नही हो पाया
तब छोटू एक हाथ में
चाय की केतली और
दूसरे हाथ में छः गिलास लेकर
अंदर आया।
उसे देखते ही
बड़े बाबू की आँखे चमकी।
उनकी कुटिल बुद्धि में
एक बात ठनकी।
उन्होंने छोटू के सर पर
सीधा बॉम्ब फोड़ा
झंडा फहराओगे?
सोच लो तालियों के
साथ-साथ
अखबार में फोटो
भी पाओगे।
श्याम वर्ण छोटू
मोतियों जैसे दांतों से मुस्काया।
बड़े बाबू में उसे
भगवान नजर आया।
उसने हाँ में बहुत देर तक
सिर हिलाया।
साब! वाकई इस देश में
जनता का राज है।
आप जैसा देवपुरुष
मेरे हाथ की चाय पीता है
इस एहसास से ही
मुझे खुद पर नाज़ है।
बड़े बाबू ने बात को
बीच में लपका।
पूरा कप चाय
एक सांस में गटका।
और बड़ी धूर्तता के साथ बोले-

अच्छा कहो
क्या देश की खातिर
कल कार्यक्रम में सबकी
फ्री में चाय सेवा
कर सकते हो?
गर्व की भावना से भरा छोटू
कुछ कह न पाया।
बस आँखों में खुशी के अश्रु लिए
छोटी-सी गर्दन को
हाँ में हिलाया।
अगले दिन झंडा फहराने
की एवज़ में
छोटू ने कई बार
सबको चाय पिलाई।
अपनी पूरी कमाई
एक दिन में लुटाई।

बड़े बाबू खुश थे कि
देश के नाम पर
उन्होंने एक गरीब को
लूट लिया है।
छोटू को गर्व था कि
गरीब होकर भी
आज उसने देश
के लिए कुछ किया है।
इस देश के लिए
कुछ किया है।

आनंद शर्मा, हिसार

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 155 Views
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