* कभी दूरियों को *
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** गीतिका **
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कभी दूरियों को बढ़ाना नहीं।
मुहब्बत कभी भी छुपाना नहीं।
अभी आपने प्यार से जो लिखा।
लिखे शब्द को अब मिटाना नहीं।
बताना सभी कुछ किसी गैर को।
मगर बात मन की बताना नहीं।
लगाएं सदा मन किसी कार्य में।
कभी चूकता फिर निशाना नहीं।
चला था कभी साथ हर हाल में।
रहा अब यहां वो जमाना नहीं।
रखें आस मन में बढ़ाएं कदम।
कभी आंसुओं को बहाना नहीं।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, ०५/११/२०२३