कब तलक आखिर

कब तक यूं ही आखिर ,नजरें तुम चुराओगे।
बातें दिल की आखिर कब तलक छुपाओगे।
बेताब तो होगा दिल, बातें हम से करने को
होठों तक जो है आई, कैसे दबा पाओगे।
सूखे शज़र पर ,आशियाना नहीं बन सकता
बात ये आंधियों को,कैसे तुम समझाओगे।
बहुत बेदर्द होते हैं , बेवफाई करने वाले
कब तलक पाठ वफ़ा का,इन्हें पढाओगे।
हर मासूम चेहरे में क़ातिल छुपा है यहां
देखते हैं तुम कैसे पहचान पाओगे।
सुरिंदर कौर