कछु मतिहीन भए करतारी,
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/89c0b3bd5e37aecc6fd3089a08687c63_d11147b468dbfeeefdcf185d66a70eaa_600.jpg)
कछु मतिहीन भए करतारी,
राम विरोध करहिं दरबारी ।
नहिं कछु सूझत उन्हहिं गोसाई,
करहिं विरोध नहाइ नहाई ।
✍️ अरविन्द त्रिवेदी
कछु मतिहीन भए करतारी,
राम विरोध करहिं दरबारी ।
नहिं कछु सूझत उन्हहिं गोसाई,
करहिं विरोध नहाइ नहाई ।
✍️ अरविन्द त्रिवेदी