ऐसा कहते हैं सब मुझसे

ऐसा कहते हैं सब मुझसे, हाल कल क्या होगा मेरा।
बनाकर मैं हमदम किसी को, बसा लूं मैं घर मेरा।।
ऐसा कहते हैं सब मुझसे————-।।
दिखातें है लोग हजारों भय, रस्मों-रिवाज का मुझको।
बढ़ेगी शान कैसे मेरी कल, होगा पितृऋण कैसे पूरा।।
ऐसा कहते हैं सब मुझसे————-।।
हस्ती नहीं है कुछ भी मेरी, बिन शादी के जीने से।
कर लूं मैं भी शादी अब, होगा दुःख कम कुछ मेरा।।
ऐसा कहते हैं सब मुझसे————-।।
बना रहा हूँ यह जो महल,करके मेहनत जो इतनी।
सौंपूंगा कल किसको इसे, होगा वारिस कौन मेरा।।
ऐसा कहते हैं सब मुझसे—————।।
यकीन मैं किस पर करुँ , पल में बदल जाते हैं लोग।
रहना चाहता हूँ जी आजाद, कौन है मुमताज़ मेरा।।
ऐसा कहते हैं सब मुझसे—————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)