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27 Jan 2017 · 1 min read

एडमिन की विवशता पर जलहरण

बोलते हमेशा यही
लिखते नहीं हो सही
चले जाओ और कहीं
ग्रुप मेरा छोड़कर।।

आपद ने आज घेरा
सर न खपाओ मेरा
अपना हटाओ डेरा
सारे नाते तोड़ कर।।

मैंने गले लगा लिया
खुद को ही दगा दिया
मैंने ही तो बला लिया
तुम्हे यहाँ जोड़ कर।।

कहते मुझे हैं सब
तुमको बचाये रब
मुँह न दिखाओ अब
चले जाओ मोड़ कर।।

Language: Hindi
349 Views
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