एक दिवस में
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एक दिवस में
सिमट जाए,
स्त्री नहीं होती
वह दिनचर्या,
वह तो सूर्य है,
जो अपनी धुरी पर
लगातार चक्कर
काटता रहता है।
एक दिवस में
सिमट जाए,
स्त्री नहीं होती
वह दिनचर्या,
वह तो सूर्य है,
जो अपनी धुरी पर
लगातार चक्कर
काटता रहता है।