उम्मीदों का उगता सूरज बादलों में मौन खड़ा है |

उम्मीदों का उगता सूरज बादलों में मौन खड़ा है |
जीत उसी ने पाई है , जो संघर्षों से लड़ा है |
सामने सूरज हो भले वह अकेला खड़ा है …|
खुद पर भरोसा उसे जुगनू सा वो अडा है …|
लाखो संघर्ष चाहे, मार्ग में भले उनके………,
उसकी जिद के आगे उसका हौसला बढ़ा है |
अनन्त हार से भी मुकम्मल खड़ा है |
जीत का जज्बा , आसमान से बड़ा है |
कवि दीपक सरल