“इश्क़ की गली में जाना छोड़ दिया हमने”
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इश्क की गली में जाना छोड़ दिया हमने
जी को जलाने पर भी मुहब्बत नही मिलती
जिसकी किस्मत में हो उसी को मिली है
सभी को जिंदगी में उल्फत नहीं मिलती
शामिल होंगे शायद गुनहगारों में हम भी
मासूमों को कभी यहाँ ज़मानत नहीं मिलती
बहारें भी दूर से गुजरती है इस जगह
कलियों को खिलने की इजाजत नहीं मिलती
वास्ता रखा नहीं कभी किसी से राणाजी
हर किसी से अपनी भी तबियत नहीं मिलती
©ठाकुर प्रतापसिंह राणाजी
सनावद (मध्यप्रदेश)