आई आंधी ले गई, सबके यहां मचान।
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आई आंधी ले गई, सबके यहां मचान।
ढह गए वो मकान भी, जिनमें थे इंसान।।
आंखों से परदा उठा, चला शील वनवास
धूल धुआं सी जिंदगी, सोती चादर तान।।
सूर्यकांत
आई आंधी ले गई, सबके यहां मचान।
ढह गए वो मकान भी, जिनमें थे इंसान।।
आंखों से परदा उठा, चला शील वनवास
धूल धुआं सी जिंदगी, सोती चादर तान।।
सूर्यकांत