अब हम बहुत दूर …

अब हम बहुत दूर …
निकल पड़े हैं !
उंच्चईयों को छूने लगे हैं !
पर ह्रदय में एक पीड़ा आज भी है
हम कुछ न कुछ आत्मीयता खोने लगे हैं !!परिमल
अब हम बहुत दूर …
निकल पड़े हैं !
उंच्चईयों को छूने लगे हैं !
पर ह्रदय में एक पीड़ा आज भी है
हम कुछ न कुछ आत्मीयता खोने लगे हैं !!परिमल