अपनी ही हथेलियों से रोकी हैं चीख़ें मैंने
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अपनी ही हथेलियों से रोकी हैं चीख़ें मैंने
अपनी ही बाजुओं पर सर रखा है
अपने ही कांधे पर टिकाए हैं आंसू
अपनी ही अंजुलियो में रश्क़ भरा है
अपने ही माथे को चूमा है हवा बन
अपने ही लबों पर अंगार रखे हैं
अपने ही हाथों से बांधी हैं पायलें
अपने ही पते पर खत लिखा है
#विरह