Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Jun 2016 · 3 min read

अचंभित हूँ ….(कहानी)

बात बीते साल की है ! जब मैं इस शहर मैं नया-नया सा था, अनजान शहर अनजाने लोग, पढ़ाई भी चल ही रही थी दूसरी ओर मैं किसी पार्ट टाइम जॉब के चक्कर में भी कभी इधर कभी उधर भटकता मगर कोई भी ठिकाना नहीं बैठ सका, पापा गांव में ही रहते एक छोटी सी शॉप थी गांव में छोटा मोटा काम करके किसी तरह मेरी फीस किसी तरह पापा मुझे हर महीने तकरीबन ३५०० रूपए दे देते मगर अब स्नातक की पढाई पूरी हो चुकी थी, किसी तरह पापा का बोझ काम करना लाजमी था , अचानक एक दिन मैं यूं ही दोपहर का भोजन करने के पश्चात किताब खोले बैठा ही था कि मुझे एक कॉल आई आप बृजपाल सिंह बात कर रहे हैं? हमें आपका रिज्यूमे मिला है कृपया अगर आप जॉब के इच्छुक हैं तो आप जल्दी से हमारे ऑफिस आ जाइये ! मैं अचंभित हुआ भला कौन मुझे इस तरह कॉल कर सकता है , खैर मैंने हाँ सर कहकर फ़ोन रख दिया ! और फटाफट से तैयार होकर उस पते पर जा पहुंचा, सर गुड आफ्टरनून सम्बोधित करके मैं बैठ गया ! दो चार प्रश्न करके तथा मेरी प्रैक्टिकली नॉलेज देखकर मुझे मात्र ३००० रूपए के मासिक वेतन पर रख दिया गया ! मैं खुश था मगर एक तरफ मन में यह भी ख्याल आ रहा था की महंगाई के ज़माने मैं मेरा ३००० से मेरा क्या होगा? मगर क्योंकि पहली नौकरी थी सोचा कुछ नहीं से तो सही है कम से कम घर से तो नहीं माँगना पड़ेगा इसी सोच में मैंने जॉब ज्वाइन कर ली काम कंप्यूटर से रिलेटिड ही था क्योंकि मुझे टाइपिंग एवं डिज़ाइन का अच्छा नॉलेज था ! इसी तरह मेरी नई ज़िंदगी की शुरुआत हुई , एक दिन मैं ऑफिस से अपने रूम को जा ही रहा था उस रास्ते में एक बड़ा सा ग्राउंड पड़ता है उसमे समय -समय पर ट्रेड फेयर चलते रहते थे, उन दिनों भी एक फेयर वहाँ पर चल रहा था काफी भीड़ हो रही थी मगर इस मेले से कोई लेना देना नहीं था क्योंकि ३००० रूपए की सैलरी में भला इंसान क्या खरीद सकता और क्या बचा पाता ! इसी सोच में मैं अपने रास्ते चल ही रहा था की अचानक मेरी नज़र एक दम्पति पर पड़ी कायदे से वो किसी रईस खानदान से लग रहे थे , उनका पहनावा उनकी बात करने की शैली इत्यादि ! उनके सामने एक छोटी सी बच्ची जो तकरीबन ५-६ साल की ही रही होगी बहुत ज़ोरो से चिल्ला रही थी रो रही थी, मैंने मन ही मन में सोचा की शायद वह अपने मम्मी- पापा से बिछड़ चुकी है इसीलिए वो रोयी जा रही हैं क्योंकि ये कलयुग का ज़माना है भला कौन किसको पूछता सब अपने में ही मस्त रहते हैं इसलिए कोई उस बच्ची को चुप नहीं करा रहा और पूछताछ भी इसीलिए कोई उस से नहीं कर रहा ! मैंने मन बन लिया की मैं उसके पास जाकर उसको पूछूं उससे बात करूँ, मैं ज्यों ही उसकी ओर बढ़ा तभी उसने उस लेडीज हा हाथ ( जिस दम्पति की मैं बात कर रहा ) पकड़ कर बोली मम्मा ……..मम्मा मुझे वो वाला कार्टून दिलवाओ ना प्लीज मम्मा प्लीज ! मैं स्तब्ध रह गया की भला एक माँ अपनी बच्ची को ऐसा इस भरी भीड़ में रोते हुए कैसे देख सकती ? मैं एकदम सा रुक गया और न जाने मुझे क्या हुआ ,मैं कुछ समय तक उन्हें देखता रहा शायद कुछ बात थी जो मेरे मन की बिचलित कर रही थी फिर मैंने देखा वो लेडीज उस बच्ची को ना डाँट रही और न ही उसको चुप करा रही यहां तक की वो दोनों दम्पति किसी टॉपिक पर बातें कर रहे थे मगर किसी तरह का ध्यान उन्होंने उस बच्ची पर नहीं दिया…………
मन में करुणा की भावना थी उस वक्त अजीब सी बेचैनी थी , मगर कुछ कर भी नहीं सकता था एकाएक बच्ची बस उसी बात को दोहराई जा रही थी , मगर उसे सुनने वाला कोई नहीं था…… मैं स्तब्ध रह गया जब उस दुधमुखी बच्ची के मुंह से
ये शब्द सुने , उसके शब्द थे – मम्मा प्लीज मैं आपसे रिकवेस्ट करती हूँ मुझे ये वाल कार्टून दिलवा दो मैं आपके पैसे बाद मैं लौटा दूंगी ……
अपने आँखों मेंआशुओं की धार को मैं रोक न सका उस वक़्त…….
काश मैं कुछ कर पाता मैं आज भी उस बात को लेकर स्तब्ध हूँ की भला एक दुधमुखी बच्ची दो शब्द में इतना कुछ कह गई……….. कैसे होंगे उसके मां- बाप? क्यों ? इत्यादि प्रश्न आज भी मेरे ज़हन में मुझे झनझॊर किये हुए हैं! मैं आज भी उस बात को लेकर स्तब्ध हूँ………

…… बृज

Language: Hindi
1 Like · 5 Comments · 517 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
** मुक्तक **
** मुक्तक **
surenderpal vaidya
सूरज जैसन तेज न कौनौ चंदा में।
सूरज जैसन तेज न कौनौ चंदा में।
सत्य कुमार प्रेमी
परत दर परत
परत दर परत
Juhi Grover
दुनिया मे नाम कमाने के लिए
दुनिया मे नाम कमाने के लिए
शेखर सिंह
एकाकीपन
एकाकीपन
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
दृढ़ निश्चय
दृढ़ निश्चय
विजय कुमार अग्रवाल
शायरी - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
शायरी - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
त्याग
त्याग
डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्'
54….बहर-ए-ज़मज़मा मुतदारिक मुसम्मन मुज़ाफ़
54….बहर-ए-ज़मज़मा मुतदारिक मुसम्मन मुज़ाफ़
sushil yadav
*मुहर लगी है आज देश पर, श्री राम के नाम की (गीत)*
*मुहर लगी है आज देश पर, श्री राम के नाम की (गीत)*
Ravi Prakash
भूल भूल हुए बैचैन
भूल भूल हुए बैचैन
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
प्यार किया हो जिसने, पाने की चाह वह नहीं रखते।
प्यार किया हो जिसने, पाने की चाह वह नहीं रखते।
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
"दो नावों पर"
Dr. Kishan tandon kranti
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Phool gufran
ज़िंदगी ने कहां
ज़िंदगी ने कहां
Dr fauzia Naseem shad
बीवी के अंदर एक मां छुपी होती है,
बीवी के अंदर एक मां छुपी होती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
A heart-broken Soul.
A heart-broken Soul.
Manisha Manjari
तेरी याद.....!
तेरी याद.....!
singh kunwar sarvendra vikram
विषय- सत्य की जीत
विषय- सत्य की जीत
rekha mohan
3) “प्यार भरा ख़त”
3) “प्यार भरा ख़त”
Sapna Arora
'आप ' से ज़ब तुम, तड़ाक,  तूँ  है
'आप ' से ज़ब तुम, तड़ाक, तूँ है
सिद्धार्थ गोरखपुरी
छलियों का काम है छलना
छलियों का काम है छलना
©️ दामिनी नारायण सिंह
मेरी सच्चाई को बकवास समझती है
मेरी सच्चाई को बकवास समझती है
Keshav kishor Kumar
अब तो गिरगिट का भी टूट गया
अब तो गिरगिट का भी टूट गया
Paras Nath Jha
आग लगाते लोग
आग लगाते लोग
DR. Kaushal Kishor Shrivastava
■ बिल्ली लड़ाओ, रोटी खाओ अभियान जारी।
■ बिल्ली लड़ाओ, रोटी खाओ अभियान जारी।
*प्रणय प्रभात*
नरसिंह अवतार
नरसिंह अवतार
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
ये तो दुनिया है यहाँ लोग बदल जाते है
ये तो दुनिया है यहाँ लोग बदल जाते है
shabina. Naaz
महत्वपूर्ण यह नहीं कि अक्सर लोगों को कहते सुना है कि रावण वि
महत्वपूर्ण यह नहीं कि अक्सर लोगों को कहते सुना है कि रावण वि
Jogendar singh
kavita
kavita
Rambali Mishra
Loading...