अक्षत और चूहों की बस्ती

बाल कथा
‘अक्षत और चूहों की बस्ती’
लेखक
डॉ. रीतेश कुमार खरे “सत्य”
——————————————————-
अक्षत के लिए मम्मी ने पराठा रखा और किचन में चली गई अक्षत खेल में बिजी था जब वह पराठे की प्लेट तक पहुंचा तो देखकर दंग रह गया, एक चूहा उसका पराठा बड़े मजे से खा रहा था
“अरे बदमाश चूहे तुम्हारी इतनी हिम्मत, मेरा पराठा कुतर डाला अभी मजा चखाता हूं”
यह कहकर अक्षत चूहे के पीछे दौड़ा लेकिन चूहा बड़ी तेजी से भागा और अपने बिल में घुस गया
“बदमाश चूहे, मेरा पराठा चुराकर बिल में छुप गया, आज तुम्हें नहीं छोडूंगा”
अक्षत ने देखा कि बिल का गेट बहुत छोटा है वह गुस्से में बोला
” कुछ भी हो जाए मैं इस चूहे को मजा चखा कर रहूंगा”
अक्षत दौड़कर गमले के पास गया और कुदाल उठा लाया, कुछ ही देर में उसने बिल का दरवाजा इतना बड़ा कर लिया कि वह उसमें जा सकता था उसने जैसे ही अंदर देखा, आश्चर्य से बोला
“अरे यह क्या चूहे के बिल में तो सीढ़ियां बनी है? चलो उतर कर देखता हूं”
अक्षत सीढ़ियों से अंदर उतरता चला गया उसने सामने देखा और बोला
“अरे वाह इतनी गजब जगह रहता है यह चूहा, सीढ़ियां खत्म हुई तो इतनी बड़ी लंबी टनल, देखता हूं आगे और क्या-क्या है?”
अक्षत तेजी से टनल में आगे बढ़ता चला गया उसने देखा कि टनल बड़ी साफ-सुथरी है इसके दोनों तरफ छोटे-छोटे मकान बने हैं, सभी मकानों के बाहर डस्टबिन रखा हुआ है, मकानों के कमरे बहुत सुंदर हैं, कमरों में ऐसी भी लगे हुए हैं, अक्षत आश्चर्यचकित होकर बोला
“इतने शानदार तो हमारे घर भी नहीं, चूहे तो हमसे बहुत ज्यादा एडवांस हैं”
उसने एक कमरे में झांक कर देखा उस कमरे में वही चूहा शानदार सोफे पर बैठा था बगल में उसकी पत्नी खड़े-खड़े चूहे को डांट रही थी
“तुम्हें कितनी बार कहा कि मनुष्य के भोजन की चोरी करना छोड़ दो आज मैंने तुम्हारे लिए गाजर का हलवा बनाया था लेकिन फिर भी आप पराठा खाने पहुंच गए”
चूहा बोला
“सॉरी मैडम जी गलती हो गई अब ऐसा नहीं करूंगा, पहले मुझे गरमा गरम कॉफी पिला दो, उसके बाद माइक्रोवेव अवन में एक प्लेट हलवा गरम कर देना”
अक्षत की आंखें फटी की फटी रह गई वह मन ही मन बोला
यहां मम्मी दो साल से पापा से माइक्रोवेव अवन के लिए कह कह कर थक गई, लेकिन आज तक नहीं आया और यहां चूहे माइक्रोवेव में हलवा गर्म कर करके खा रहे हैं”
तभी दूसरे मकान से कुछ शोर सुनाई दिया , अक्षत ने उस मकान में झांक कर देखा, एक बड़े हॉल में चूहों के चार पांच बच्चे चिल्ला रहे थे
” मम्मी मम्मी बहुत जोर की भूख लगी है कुछ स्पेशल बना दो”
मम्मी ने कहा
“ठीक है बच्चों शोर मत मचाओ, मैं मोमोज बना देती हूं”
बच्चे खुश होकर ताली बजाने लगे एक बच्चा तो नाचने लगा और बोला
“मम्मी तुम कितनी अच्छी हो”
सभी बच्चे एक स्वर में उसकी बात में हां मिलाकर खुशी से झूम रहे थे यह देखकर अक्षत मन ही मन बोला
“यहां चूहे तो बड़ा मस्त जीवन जी रहे हैं,काश हम भी चूहे होते”
तभी उसकी निगाह सामने के मकान पर पड़ी मकान के बाहर एक ऑटोमेटिक झूला लगा था उस पर तकिया लगा कर एक बुड्ढा चूहा शॉल ओढ़े लेटा था, उसकी आंखों पर गोल फ्रेम वाला चश्मा लगा था वह लेटे लेटे किताब पढ़ रहा था अक्षत उसके पास पहुंचा और किताब के टाइटल को पढ़ने लगा
“बिल्ली को उल्लू बनाने के 100 तरीके”
लेकिन वह चूहा अपने में मस्त था
अक्षत ने आगे देखा तो एक शानदार गार्डन था गार्डन में बड़े चूहे बेंच पर बैठकर गपशप लड़ा रहे थे, कुछ बच्चे फुटबॉल खेल रहे थे, कुछ बच्चे बच्चे क्रिकेट खेल रहे थे, कुछ अकेले बैठकर किताब पढ़ रहे थे, कुछ जोगिंग कर रहे थे, वहां एक शानदार स्विमिंग पूल भी था, इसमें कुछ बच्चे नहा रहे थे, सभी स्विमिंग जैकेट पहने थे
यह सब देखकर अक्षत घबरा गया उसे लगा कि वह किसी जादुई दुनिया में पहुंच गया है वह मन ही मन बोला
“मुझे यहां से जल्दी वापस चले जाना चाहिए कहीं मैं यहां फस न जाऊं”
अक्षत जितनी तेजी से भाग सकता था उतनी तेजी से वापस भागा लेकिन हड़बड़ी में सीढ़ियां चढ़ते समय उसका पैर फिसल गया, पैर की खाल रगड़ खा गई तेजी से खून भी बहने लगा उसने देखा कि उसकी तरफ कई चूहे दौड़ते चले आ रहे हैं
अक्षत रोने लगा और चिल्लाया
“मम्मी मुझे बचाओ”
उसे लगा कि मम्मी उसको जोर जोर से हिला रही है उसने आंख ऊपर उठाकर देखा तो मम्मी सामने खड़ी थी
“क्या हुआ?”
” सुबह सुबह कोई सपना देख रहे थे क्या ? पलंग से नीचे कैसे गिर गए?”
अक्षत ने अपने पैर की तरफ देखा जो किएकदम नॉर्मल था उसे कोई चोट नहीं लगी थी वह मुस्कुरा कर बोला
“हां मम्मा सपना ही तो था लेकिन था बड़ा मजेदार”
—————————————————–