अकिंचन (कुंडलिया)
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/053ab35890c9684073e14e7d78e04485_6ced51fa6f98b8ec900d4ab022ee7f4f_600.jpg)
अकिंचन (कुंडलिया)
■■■■■■■■■■■
करिए कृपा कृपालु प्रभु ,जान अकिंचन दास
जग से कुछ चाहूँ नहीं ,तुम बिन रहूँ उदास
तुम बिन रहूँ उदास ,आमजन मैं अज्ञानी
मामूली इंसान, सर्व-सुख के तुम दानी
कहते रवि कविराय ,सत्य शिव सुंदर भरिए
सात्विक मन के भाव ,शुद्ध आजीवन करिए
●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 997615451
“”””””””””””””””””””””””””””
अकिंचन = दरिद्र ,मामूली ,गुमनाम