अंग्रेजी का अखबार (हास्य व्यंग्य)
अंग्रेजी का अखबार (हास्य व्यंग्य)
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जिन लोगों ने हिंदी मीडियम से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की है वह जानते हैं कि उनके जीवन का कितना बड़ा हिस्सा अंग्रेजी सीखने में खर्च हो जाता है । कक्षा एक से कक्षा बारह तक रोजाना एक घंटा स्कूल में अंग्रेजी सीखने के बाद भी नतीजा शून्य निकलता है । कक्षा बारह पास करने के बाद पता चलता है कि किसी से अंग्रेजी में बात करनी हो तो आदमी दाएं-बाएं देखना शुरू कर देता है। कभी किसी शिक्षा शास्त्री ने इस बारे में विचार नहीं किया कि कक्षा एक से कक्षा बारह तक सैकड़ों-हजारों अंग्रेजी के पीरियड पड़े और अंग्रेजी सिखाई गई, लेकिन अंग्रेजी बोलना सिखाने का एक भी पीरियड नहीं हुआ । परिणाम यह निकला कि अंग्रेजी बोलने के लिए एक अलग से किताब खरीदनी पड़ती है, जो यह दावा करती है कि उसको पढ़ने के बाद बन्दा अंग्रेजी बोलना भी सीख लेगा । इंटर पास करने के बाद अगर यह किताब खरीदना पड़े तो बड़े दुर्भाग्य की बात होती है । केवल इतना ही नहीं ,अंग्रेजी बोलना सिखाने के कोर्स शुरू हो गए हैं । गली मोहल्लों में लोग कहते हैं कि हमारे पास चालीस दिन या बीस दिन या पंद्रह दिन आओ, हम आपको गारंटी के साथ अंग्रेजी बोलना सिखा देंगे। यह उसी तर्ज पर होता है कि कोई कहता है कि हमारी जड़ी-बूटी खाने के बाद आप की बीमारी खत्म हो जाएगी ।जरा सोच कर देखो, बारह साल लगातार अंग्रेजी सीखी और स्कूल में सीखी, फिर भी नहीं सीख पाए तो बीस दिन में कौन है जो सिखा देगा ।
दूसरी दिक्कत आती है कि कक्षा एक से कक्षा बारह तक हिंदी मीडियम में अंग्रेजी तो पढ़ ली, लेकिन उसके बाद भी अंग्रेजी नहीं आई। लिखना नहीं आया और पढ़ना नहीं आया। तब एक दूसरा टोटका शुरू होता है जिसको हम “अंग्रेजी का अखबार” कहते हैं । जब हिंदी मीडियम वाला इंटर पास करता है, तब उसकी अंग्रेजी अच्छी करने के लिए एक अंग्रेजी काअखबार घर में लगा दिया जाता है । अंग्रेजी अखबार का काम ख़बरें पढ़ना नहीं होता बल्कि अंग्रेजी पढ़ना होता है । इस तरह घर में दो अखबार आते हैं ।एक हिंदी का अखबार ,जिसे पढ़कर खबरें पढ़ी जाती हैं और दूसरा अंग्रेजी का अखबार आता है, जिसे पढ़कर अंग्रेजी पढ़ी जाती है।
आगे से आप किसी हिंदी मीडियम वाले व्यक्ति के पास में बैठे हों तो समझ जाइए उसके घर में हिंदी का अखबार किस लिए आता है और अंग्रेजी का अखबार किस लिए आता है। हिंदी मीडियम वाले आपस में एक दूसरे को बहुत अच्छी तरह समझते हैं । यह दिल से दिल की बात होती है । सुबह हुआ तो चुपचाप हिंदी का अखबार पढ़ कर खबरें जान लीं। उसके बाद आराम से फुर्सत में दफ्तर में अथवा दुकान पर अंग्रेजी का अखबार पढ़ते हुए अंग्रेजी पढ़ना आरंभ कर दिया ।
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लेखक रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451