Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Nov 2016 · 1 min read

गीत

तौबा- तौबा करते- करते प्यार हो गया।
आँखों ही आँखों में कब इक़रार हो गया।

कुछ ना बोली, मुख ना खोली।
जानूँ ना मैं, आँख- मिचौली।

मिलते- जुलते कब दिल, बेक़रार हो गया।
पलकों के पीछे से, कोई वार हो गया।

अमुवा ऊपर कोयल बोली।
मैं तो कोई राज़ न खोली।

जाने कैसे तीर ज़िगर के पार हो गया।
बैठे- थाले, हम- दोनों में, प्यार हो गया।

कब तक डरती, प्यार न करती।
कुछ तो होगी, रब की मर्ज़ी।

साँझ- सकारे क्यों, उसका दीदार हो गया।
उसको भी तो मुझपे, ऐतवार हो गया।

रंगों से खेली ना होली,
नादां मैं नादां हमजोली।

दीवाने को दीवानी से सरोकार हो गया।
हँसते- हँसते, प्यार का बुखार हो गया।

श्रीमती रवि शर्मा

Language: Hindi
Tag: गीत
311 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
💐प्रेम कौतुक-558💐
💐प्रेम कौतुक-558💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
#drarunkumarshastri♥️❤️
#drarunkumarshastri♥️❤️
DR ARUN KUMAR SHASTRI
तुम्हारी छवि...
तुम्हारी छवि...
उमर त्रिपाठी
सपन सुनहरे आँज कर, दे नयनों को चैन ।
सपन सुनहरे आँज कर, दे नयनों को चैन ।
डॉ.सीमा अग्रवाल
■ आज की बात
■ आज की बात
*Author प्रणय प्रभात*
1)“काग़ज़ के कोरे पन्ने चूमती कलम”
1)“काग़ज़ के कोरे पन्ने चूमती कलम”
Sapna Arora
मां
मां
Dr. Pradeep Kumar Sharma
दगा बाज़ आसूं
दगा बाज़ आसूं
Surya Barman
शुभ रात्रि मित्रों.. ग़ज़ल के तीन शेर
शुभ रात्रि मित्रों.. ग़ज़ल के तीन शेर
आर.एस. 'प्रीतम'
"अंतिम-सत्य..!"
Prabhudayal Raniwal
अच्छे किरदार की
अच्छे किरदार की
Dr fauzia Naseem shad
मैं
मैं
Artist Sudhir Singh (सुधीरा)
मां
मां
Manu Vashistha
बहके जो कोई तो संभाल लेना
बहके जो कोई तो संभाल लेना
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कहानी। सेवानिवृति
कहानी। सेवानिवृति
मधुसूदन गौतम
ऋतुराज
ऋतुराज
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
सास खोल देहली फाइल
सास खोल देहली फाइल
नूरफातिमा खातून नूरी
*लस्सी में जो है मजा, लस्सी में जो बात (कुंडलिया)*
*लस्सी में जो है मजा, लस्सी में जो बात (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
******गणेश-चतुर्थी*******
******गणेश-चतुर्थी*******
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
चुना था हमने जिसे देश के विकास खातिर
चुना था हमने जिसे देश के विकास खातिर
Manoj Mahato
रै तमसा, तू कब बदलेगी…
रै तमसा, तू कब बदलेगी…
Anand Kumar
कई रात को भोर किया है
कई रात को भोर किया है
कवि दीपक बवेजा
‘ विरोधरस ‘---10. || विरोधरस के सात्विक अनुभाव || +रमेशराज
‘ विरोधरस ‘---10. || विरोधरस के सात्विक अनुभाव || +रमेशराज
कवि रमेशराज
चंदा मामा ! अब तुम हमारे हुए ..
चंदा मामा ! अब तुम हमारे हुए ..
ओनिका सेतिया 'अनु '
आकाश
आकाश
Dr. Kishan tandon kranti
कितना भी  कर लो जतन
कितना भी कर लो जतन
Paras Nath Jha
दलित साहित्यकार कैलाश चंद चौहान की साहित्यिक यात्रा : एक वर्णन
दलित साहित्यकार कैलाश चंद चौहान की साहित्यिक यात्रा : एक वर्णन
Dr. Narendra Valmiki
गर्म चाय
गर्म चाय
Kanchan Khanna
जनाजे में तो हम शामिल हो गए पर उनके पदचिन्हों पर ना चलके अपन
जनाजे में तो हम शामिल हो गए पर उनके पदचिन्हों पर ना चलके अपन
DrLakshman Jha Parimal
मेंरे प्रभु राम आये हैं, मेंरे श्री राम आये हैं।
मेंरे प्रभु राम आये हैं, मेंरे श्री राम आये हैं।
सत्य कुमार प्रेमी
Loading...