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3 Sep 2016 · 1 min read

इतराती सी

इतराती सी
पनघट को जाती
बलखाती सी

गागर धरे
मटकाय कमर
पनघट पे

नटि सी चाल
पूछत कोऊ हाल
लगत माल

अधखुले से
नव विकसित से
दिखत उर

भरत जल
चलत पल पल
कहत चल

साँवरिया से
लडावत दो नैन
आवत चैन

पनघट से
आवत सुंदर से
नयना लागे

Language: Hindi
71 Likes · 519 Views
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