Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Dec 2016 · 3 min read

हमारी प्यारी हिन्दी

??हमारी हिन्दी??

भाषाओं का मानव जीवन में अपना महत्व है|हमारे हृदय के उद्गारों को प्रकट करने हेतु जो भाषा सबसे सहज और सुग्राह्य है,वह होती है हमारी मातृभाषा|और हमारी मातृभाषा है हिन्दी –मोहक,मधुर और आकर्षक|हिन्दी की एक गौरवशाली परम्परा रही है|हिन्दी हमारी संस्कृति की वाहक है|हिन्दी का साहित्य समृद्ध है|हिन्दी की वर्णमाला विराट है अर्थात् मौखिक भाषा को लिपिबद्ध करते समय एकरूपता रहती है विविधता नहीं आती,यह सामर्थ्य केवल हिन्दी की वर्णमाला में है अन्य किसी भाषा में नहीं|हिन्दी भाषा माधुर्य और सौन्दर्य से परिपूर्ण है|इसकी आकर्षकता और मोहकता इसे विशिष्ट बनाते हैं|यही कारण है कि विश्व पटल पर हिन्दी के प्रति रूझान बढ़ रहा है|इसके अतिरिक्त भारत जनसंख्या की दृष्टि से एक बड़ा बाजार है|यहाँ की सांस्कृतिक विविधता,समृद्ध विरासत,साहित्य,योग,मनोरंजन और ज्ञान विश्व को लुभाता है|यही वे कारण हैं जिन से विश्व समुदाय का झुकाव हिन्दी के प्रति निरन्तर बढ़ रहा है और अनौपचारिक रूप से हिन्दी विश्व की दूसरी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है|
लेकिन सब कुछ इतना आकर्षक नहीं है हिन्दी का एक स्याह पक्ष भी है और वह है हिन्दी के प्रति हिन्दी वालों की ही उपेक्षा|हमारा हमारी ही हिन्दी के प्रति हीनता बोध|आज भी हम हिन्दी को गरीब, किसान और गाँववाले की ही भाषा समझते हैं और अंग्रेजी को अभिजात्य वर्ग की,कुलीन वर्ग की भाषा मानते हैं|हम भेड़ चाल चलते हुए अंग्रेजीदां लोगों को देखकर स्वयं अपने बच्चों को हिन्दी से दूर किये जा रहे हैं|जबकि हिन्दी हमारे बच्चों के लिए ज्यादा सुग्राह्य और सहज है क्योंकि यह उनकी परिवेशीय भाषा है|जिसका परिणाम यह हो रहा है कि इस पीढ़ी का नैसर्गिक विकास बाधित हो रहा है|वे अंग्रेजी के प्रदर्शन के चक्कर में रट्टू तोता होते जा रहे हैं|ज्ञान के वास्तविक एवं नैसर्गिक उद्घाटन का मार्ग अवरुद्ध हो रहा है|पढ़े लिखे अज्ञानियों की फौज बढ़ती ही जा रही है|परन्तु इसके समाधान पर प्रश्न चिह्न लगा हुआ है|
१४सितम्बर,१९४९ को हिन्दी को लेकर जो स्वपन देखे गये थे वे आज भी आँखों में ही हैं|राजनैतिक स्वार्थ,भाषायी संघर्ष,उपेक्षा और सदिच्छा की कमी हिन्दी को अपने ही देश में बेगाना बना रहे हैं|हिन्दी राजभाषा थी और अंग्रेजी सह भाषा|परन्तु सरकारों ने इसे पलट दिया है और अंग्रेजी ही राजभाषा की तरह प्रत्येक सरकारी कार्य की भाषा बनती जा रही है|( नोट-हिन्दी प्रेम का तात्पर्य अंग्रेजी का विरोध नहीं है परन्तु वह सहायक थी और मालिक बन बैठी इस बात का विरोध है|मित्रभाषा के रूप में सदैव स्वागत है)हमारे नीति नियंता न ही मैकॉले द्वारा रोपित शिक्षा नीति की जड़ों को अभी तक पूर्ण रूपेण उखाड़ पाये हैं और न ही हिन्दी को रोजगार परक बना पाये हैं|हिन्दी न ही राष्ट्रीय संपर्क की भाषा बन पायी है,न ही शोध,विज्ञान की भाषा|शिक्षा के माध्यम,शासन,प्रशासन,विधि,
नियम और न्यायालय की भाषा के रूप में जब तक हिन्दी को उचित मान नहीं मिलेगा हिन्दी उत्सव जैसे आयोजन बेमानी ही रहेंगे|
‘मातृभाषा प्रेम’एक अच्छा जुमला है,परन्तु उदरपूर्ति,रोजगार प्राप्ति और सम्मानजनक स्थिति के लिए जब तक हिन्दी को यथोचित स्थान नहीं मिलेगा, हिन्दी से आम जनता का मोह भंग होता रहेगा|अतः यदि हम वास्तव में हिन्दी को लेकर गम्भीर हैं तो हमें हिन्दी को मात्र साहित्य की भाषा ही नहीं, व्यवसाय की भाषा, रोजगार की भाषा, सम्मान की भाषा,शासन,प्रशासन की भाषा,न्याय की भाषा और शनै शनै दुनिया जहान की भाषा बनाने का प्रयास करना होगा|तभी हमारा हिन्दी प्रेम सही मायने में सफल होगा|
जय हिन्दी?
✍लेखक-हेमा तिवारी भट्ट✍

Language: Hindi
Tag: लेख
517 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
!! पलकें भीगो रहा हूँ !!
!! पलकें भीगो रहा हूँ !!
Chunnu Lal Gupta
हम जंगल की चिड़िया हैं
हम जंगल की चिड़िया हैं
ruby kumari
3007.*पूर्णिका*
3007.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सामाजिक न्याय
सामाजिक न्याय
Shekhar Chandra Mitra
सर्द हवाओं का मौसम
सर्द हवाओं का मौसम
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
मित्रता मे १० % प्रतिशत लेल नीलकंठ बनब आवश्यक ...सामंजस्यक
मित्रता मे १० % प्रतिशत लेल नीलकंठ बनब आवश्यक ...सामंजस्यक
DrLakshman Jha Parimal
*सूनी माँग* पार्ट-1
*सूनी माँग* पार्ट-1
Radhakishan R. Mundhra
बचपन
बचपन
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
स्वयं से करे प्यार
स्वयं से करे प्यार
Dr fauzia Naseem shad
जीवन दर्शन मेरी नज़र से. .
जीवन दर्शन मेरी नज़र से. .
Satya Prakash Sharma
वह दिन जरूर आयेगा
वह दिन जरूर आयेगा
Pratibha Pandey
कर्मठ व्यक्ति की सहनशीलता ही धैर्य है, उसके द्वारा किया क्षम
कर्मठ व्यक्ति की सहनशीलता ही धैर्य है, उसके द्वारा किया क्षम
Sanjay ' शून्य'
गौण हुईं अनुभूतियाँ,
गौण हुईं अनुभूतियाँ,
sushil sarna
तारीफ किसकी करूं किसको बुरा कह दूं
तारीफ किसकी करूं किसको बुरा कह दूं
कवि दीपक बवेजा
दिल है के खो गया है उदासियों के मौसम में.....कहीं
दिल है के खो गया है उदासियों के मौसम में.....कहीं
shabina. Naaz
पन्नें
पन्नें
Abhinay Krishna Prajapati-.-(kavyash)
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ : दैनिक समीक्षा*
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ : दैनिक समीक्षा*
Ravi Prakash
कातिल अदा
कातिल अदा
Bodhisatva kastooriya
■ सरोकार-
■ सरोकार-
*Author प्रणय प्रभात*
जो ये समझते हैं कि, बेटियां बोझ है कन्धे का
जो ये समझते हैं कि, बेटियां बोझ है कन्धे का
Sandeep Kumar
"बात हीरो की"
Dr. Kishan tandon kranti
गर्व की बात
गर्व की बात
Er. Sanjay Shrivastava
💐प्रेम कौतुक-538💐
💐प्रेम कौतुक-538💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
आज की सौगात जो बख्शी प्रभु ने है तुझे
आज की सौगात जो बख्शी प्रभु ने है तुझे
Saraswati Bajpai
बोलना , सुनना और समझना । इन तीनों के प्रभाव से व्यक्तित्व मे
बोलना , सुनना और समझना । इन तीनों के प्रभाव से व्यक्तित्व मे
Raju Gajbhiye
माॅं
माॅं
Pt. Brajesh Kumar Nayak
मेरे शीघ्र प्रकाश्य उपन्यास से -
मेरे शीघ्र प्रकाश्य उपन्यास से -
kaustubh Anand chandola
*आस्था*
*आस्था*
Dushyant Kumar
मिली पात्रता से अधिक, पचे नहीं सौगात।
मिली पात्रता से अधिक, पचे नहीं सौगात।
डॉ.सीमा अग्रवाल
कभी-कभी एक छोटी कोशिश भी
कभी-कभी एक छोटी कोशिश भी
Anil Mishra Prahari
Loading...