Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Oct 2016 · 3 min read

सशक्त होती आज की नारी

स्वयं की शक्ति को संगठित कर सशक्त होती आज की नारी ….

संस्कारो मे नही दायित्वो मे लिपटी है आज की नारी
.दायित्व निर्वाह मे अगर्णी निर्मला नारी अपनी शारीरिक संरचना से ऊपर उठकर अपनी बुद्धी कौशल के बल पर जीत लेना चाहती है हर एक जहॉ को
, छू लेना चाहती है आसमान को उसमे उगे चॉद को
, तोडना चाहती है बंदिशो के तारे समेटना चाहती है खूबसूरत सितारे ,
बीनना चाहती है मोती सागर की गहराई से ,
लहराना चाहती है जीत का परचम ऊचाई पे
अपनी कल्पना के पंखो से उडान भरना चाहती है ,
प्रत्येक सपने को आकार देकर उनमे रंग भरने को आतुर आज की नारी हर छेत्र मे अपने कदम बढा चुकी है

आज वह मात्र पति की अनुगामिनी नही , अनुचरिणी नही ,सहधर्माचरिणी नही अपितु पति के साथ कंधे से कंधा मिलाकर..अपनी शक्ति को संघटित कर एक सशक्त नारी को
परिभाषित करती प्रतीत होती है

छ गज की साडी मे लिपटी छुइमुई नारी जो रसोईघर तक सीमित ..एवं बच्चे पैदा करके उनके पालन पोषण तक सीमित ..थी आज उस छवि को को तोडकर घर से लेकर रोजगार तक सही सामंजस्य एवं तारतम्य बैठाती प्रतीत होती है

इस पुरूष प्रधान समाज मे घर से लेकर रोजगार तक सही तारतम्य बैठाकर उसने रूढधारणा (steriotyping)को तोडने का साहस दिखाया है _
भारत मे यही रूढ धारणा रही है कि घर के सारे काम मसलन झाडू पोछा , बर्तन ,कपडा सब बलिका वर्ग ही करगी और बाहर का काम बालक वर्ग …इस धारणा को सिरे से खारिज करती जा रही है नारी.

अपनी शारीरिक संरचना के कारण हमेशा एक डर के साथ जीती आई है नारी कभी शारीरिक तौर पर तो कभी मानसिक तौर पर हमेशा शोषित होती रही है .भावनात्मक स्तर पर कमजोर पडती नारी को युगो युगो से पुरूष का दंभ प्रताडित करता रहा है ..पर आत्मविश्वास से लवरेज नारी को ‘ नारी सशक्तिकरण ‘ के तहत बने अनेकानेक कानून से बहुत बल मिला है

जैसे कण कण सुलगता है , गर्त मे दबा रहता है दशको बाद ज्वालामुखी फटता है ,
कुदंन आग मे तपकर ही खरा होता है
लोहा पिटकर ही सही मायनो मे लोहा बनता है
वैसे ही युगो से तिरस्क्रित , अपमानित एवं गुलामी की आग मे झुलसती नारी का नया अवतार हुआ है जो छडभंगुर नही चिरस्थाई है …..

कहते है स्वयं का स्वाललम्बन ही स्वयं की सहायता है ..

अत: प्रत्येक नारी को स्वयं की सहायता अवश्य करनी चाहिए नही तो इस पुरूष प्रधान समाज मे जरा सी त्रूटी पर कुलटा कुलछनी या अबला की उपाधी दे दी जाती है ..विधवा हो परित्यक्ता हो ..दोष नारी पर ही क्यू ..?आखिर कबतक?

..वर्तमान मे इन सब बातो से ऊपर उठकर उसने अपना नया आसमान तैयार किया है
मानसिक रूप से विकलांग समाज को उसकी विक्रत सोच को अपनी छमता के बल पर बदलने पर मजबूर किया है
हर परिसिथिति मे तटस्थ होकर भावनात्मक स्तर से ऊपर उठकर आर्थिक रूप से मजबूत होती नारी कही से अबला नजर नही आती ‘
बल्कि हर छेत्र मे अपना विशेष देकर स्वयं को श्रद्धा का पात्र बनाकर .’ नारी तुम केवल श्र्द्धा हो’ ..ये एक पंक्ति सार्थक करती प्रतीत होती है

नारी शक्ति का अंदाजा वेद ,उपनिषद और ग्र्न्थ पढकर ही लगाया जा सकता है उन्हे देवी की उपाधी यू ही नही दी गई ..

लछ्मी , सरस्वती , दुर्गा सभी रूपो को सार्थक करती नारी साबित करती है कि नारी ही स्र्ष्टी का आधार है

पर कुत्सित बुद्धी वाले आज भी नवरात्री मे कन्या पूजते है देवी अर्चना करते है और गर्भ मे कन्या भूर्ण की हत्या करते है..

पर सरकार द्वारा बनाए कन्या भूर्ण के खिलाफ बनाए कानून से कुछ हद तक इस पर भी रोक लग पाई है
वर्तमान मे नारी हर छेत्र मे चाहे वो खेल कूद का मैदान हो , या दुकान हो , मल्टी मीडिया कम्पनी हो या वाणिज्य बाजार हो , दूर संचार हो या दूरदर्शन की चमकार हो हर जगह अपना परचम लहराती हुइ ओज से ओतप्रोत लहक रही है
आज दो चक्के से लेकर विमान तक चलाने वाली नारी के पंखो की उडान को रोक पाना मुश्किल ही नही नामुमकिन है .

गुरूर है खुद पर ….खुद के वजूद पर कि मै एक नारी हू ..आजकी नारी हूं ..जो अपनी संवेदनाओ को अपनी लेखनी के जरिए स्फुटित करने की शक्ति रखती हू अपनी मर्यादा मे रहकर अपनी बात कहने का दंभ रखती हू ..
कभी संयम का जहर पीती हू
कभी शोलो की आग मे जलती हू
कभी अपमान का घूंट पीती हूं
कभी मानसिक प्रताडना सहती हूं
फिर भी आज मै सबला हूं
ये कहने का फख्र रखती हूं कि आज पुरुष भी नारी के बिना उतना ही निर्रथक और बेबस है जितनी की नारी
नीरा रानी

Language: Hindi
Tag: लेख
1135 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
फूलों सी मुस्कुराती हुई शान हो आपकी।
फूलों सी मुस्कुराती हुई शान हो आपकी।
Phool gufran
*मेरे मम्मी पापा*
*मेरे मम्मी पापा*
Dushyant Kumar
होली के हुड़दंग में ,
होली के हुड़दंग में ,
sushil sarna
घुटता है दम
घुटता है दम
Shekhar Chandra Mitra
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
*नि:स्वार्थ विद्यालय सृजित जो कर गए उनको नमन (गीत)*
*नि:स्वार्थ विद्यालय सृजित जो कर गए उनको नमन (गीत)*
Ravi Prakash
मन के घाव
मन के घाव
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
हम संभलते है, भटकते नहीं
हम संभलते है, भटकते नहीं
Ruchi Dubey
आंसू
आंसू
नूरफातिमा खातून नूरी
वो ऊनी मफलर
वो ऊनी मफलर
Atul "Krishn"
मेरी निगाहों मे किन गुहानों के निशां खोजते हों,
मेरी निगाहों मे किन गुहानों के निशां खोजते हों,
Vishal babu (vishu)
बड़ा मुश्किल है ये लम्हे,पल और दिन गुजारना
बड़ा मुश्किल है ये लम्हे,पल और दिन गुजारना
'अशांत' शेखर
काश ये मदर्स डे रोज आए ..
काश ये मदर्स डे रोज आए ..
ओनिका सेतिया 'अनु '
तलाशती रहती हैं
तलाशती रहती हैं
हिमांशु Kulshrestha
दोहा
दोहा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
दोस्ती एक पवित्र बंधन
दोस्ती एक पवित्र बंधन
AMRESH KUMAR VERMA
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
*शिवे भक्तिः शिवे भक्तिः शिवे भक्ति  भर्वे भवे।*
*शिवे भक्तिः शिवे भक्तिः शिवे भक्ति भर्वे भवे।*
Shashi kala vyas
चाहत
चाहत
Sûrëkhâ Rãthí
" अब मिलने की कोई आस न रही "
Aarti sirsat
तुम्ही हो किरण मेरी सुबह की
तुम्ही हो किरण मेरी सुबह की
gurudeenverma198
23/70.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/70.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
विज्ञान का चमत्कार देखो,विज्ञान का चमत्कार देखो,
विज्ञान का चमत्कार देखो,विज्ञान का चमत्कार देखो,
पूर्वार्थ
ओ! चॅंद्रयान
ओ! चॅंद्रयान
kavita verma
सिकन्दर बनकर क्या करना
सिकन्दर बनकर क्या करना
Satish Srijan
सीख लिया मैनै
सीख लिया मैनै
Seema gupta,Alwar
चुनौती
चुनौती
Ragini Kumari
कौन कहता है छोटी चीजों का महत्व नहीं होता है।
कौन कहता है छोटी चीजों का महत्व नहीं होता है।
Yogendra Chaturwedi
मुझे गर्व है अलीगढ़ पर #रमेशराज
मुझे गर्व है अलीगढ़ पर #रमेशराज
कवि रमेशराज
■ जवाब दें ठेकेदार...!!
■ जवाब दें ठेकेदार...!!
*Author प्रणय प्रभात*
Loading...