” सचमुच सच्चा सखा चाहिये ” !!
अंतर्मन के भाव हमारे ,
अधरों के मधुगान हमारे !
अनुभूति की हर तरंग को –
छू लें जब उन्मान हमारे !
जीवन में जो राज छिपे हैं ,
उनके लिए दिशा चाहिए |
दिल से दिल की गहराई तक ,
बचपन से ले तरुणाई तक !
रोम रोम में रचा बसा हो –
साँसों की जो गहराई तक !
खुशियां जिसकी झोली में हो ,
रास रचाती निशा चाहिए !!
शिक्षा दीक्षा ज्ञान न कम हो ,
तर्कशक्ति में उसके दम हो !
सहयोग सद्भाव बसा हो –
और कलाओं का संगम हो !
सुख दुख का बंटवारा मुश्किल –
चाहत सबकी ईशा चाहिए !!