Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Sep 2017 · 6 min read

भारतीय राजनीति के पुरोधा- राष्ट्रपिता महात्मा गांधी

2 अक्टूबर जन्म दिवस पर विशेष

भारतीय राजनीति के पुरोधा- राष्ट्रपिता महात्मा गांधी

लाल बिहारी लाल

भारतीय राजनीति के पुरोधा महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 में गुजरात के पोरबंदर मे दीवान करम चंद गांधी के यहां हुआ था।इनके माता का नाम पुतली बाई था। इनकी शादी बाल्य काल में ही 1883 में कस्तुरबा गांधी से हुई।प्रारंभिक शिक्षा गुजरात में ही हुई परन्तु वकालत करने के लिए 1888 में लंदन गये फिर वहां से 1893 में साउथ अफ्रीका गये। अफ्रीका में पिटरर्सवर्ग में इन्हें अश्वेत होने के कारण ट्रेन के फस्ट क्लास की बोगी से उतारकर थर्ड क्लास की बोगी में चढ़ा दिया गया। इससे दुखी होकर 1906 में ही दक्षिण अफ्रीका में पहली बार सत्याग्रह आंदोलन शुरु कर दिया औऱ अंग्रैजों को झूकने पर मजबूर कर दिया।
भारत भी अंग्रैजो के अधीन था। उनके दमनकारी नीति और लूट खसोट से जन-जन परेशान था। सन 1857 के विद्रोह के बाद धीरे -धीरे जनमानस अग्रैजों के विरुद्ध संगठित होने लगा । प्रबुद्ध लोगों औऱ आजादी के दीवानों द्वारा सन 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना की गई। प्रारंभिक 20 वर्षों में 1885 से 1905 तक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पर उदारवादी नेताओ का दबदबा रहा। इसके बाद धीरे धीरे चरमपंथी(गरमदल) नेताओं के हाथों में बागडोर जाने लगी।

महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से 9 जनवरी 1915 को स्वदेश (मुम्बई)में कदम रखा तभी से हर साल 9 जनवरी को प्रवासी दिवस मनाते आ रहे हैं। जब गांधी जी स्वदेश आये तो उन्हे गोपाल कृष्ण गोखले ने सुझाव दिया कि आप देश में जगह-जगह भ्रमण कर देश की स्थिति का अवलोकन करें। अपने राजनैतिक गुरु गोपाल कृष्ण गोखले के सुझाव पर गांधी जी ने देश के विभिन्न क्षेत्रों से भ्रमण करते हुए बंगला के मशहुर लेखक रविनद्र नाथ टैगोर से मिलने शांति निकेतन पहुँचे। वही पर टैगोर ने सबसे पहले गांधी जी को महात्मा कहा था औऱ गांधी जी ने टैगोर को गुरु कहा था। गाँधी जी हमेशा थर्ड क्लास में यात्रा करते थे ताकि देश की वास्तविक स्थिति से अवगत हो सके।
मई 1915 में गांधी जी ने अहमदाबाद के पास कोचरब में अपना आश्रम स्थापित किया लेकिन वहाँ प्लेग फैल जाने के कारण साबरमती क्षेत्र में आश्रम की स्थापना की। दिसम्बर 1915 में कांग्रेस के मुम्बई अधिवेशन में गांधी जी ने भाग लिया गांधी जी ने यहाँ विभाजित भारत को महसूस किया देश अमीर गरीब,स्वर्ण-दलित हिन्दू- मुस्लिम, नरम-गरम विचारधारा , रुढ़िवादी आधुनिक भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के समर्थक , ब्रिटिश विरोधी जिनको इस बात का बहुत कष्ट था कि देश गुलाम है। गांधी जी किसके पक्ष में खड़े हों या सबको साथ लेकर चले। गांधी जी उस समय के करिश्माई नेता थे जिन्होंने दक्षिण अफ्रीका में सबको साथ लेकर सबके अधिकारों की लड़ाई नस्लभेदी सरकार के विरुद्ध सत्याग्रह के माध्यम से लोहा लिया था और कामयाब भी हुए थे।
गांधी जी ने पहली बार देश में सन 1917 में बिहार के चंपारन में सत्याग्रह आनंदेलन किया था । उनका आन्दोलन जन आन्दोलन होता था । चंपारण में नील किसानों के तीन कठिया विधि से मुक्ति दिलाई औऱ अंग्रैजों से अपनी बात मनवाने में कामयाब हुए। गरीबों को सुत काटने एवं उससे कपड़े बनाने की प्रेरणा दी जिससे इनके जीवन-यापन में गुणात्मक सुधार आया।
सन 1918 में गुजरात क्षेत्र का खेडा क्षेत्र -बाढ़ एवं अकाल से पीड़ित था जैसे सरदार पटेल एंव अनेक स्वयं सेवक आगे आये उन्होंने ब्रिटिश सरकार से कर राहत की माँग की । गांधी जी के सत्याग्रह के आगे अंग्रैजों को झुकना पड़ा किसानों को कर देने से मुक्ति मिली सभी कैदी मुक्त कर दिए गये गांधी जी की ख्याति देश भर में फैल गई। यही नहीं खेड़ा क्षेत्र के निवासियों को स्वच्छता का पाठ पढाया। वहाँ के शराबियों को शराब की लत को भी छुडवाया।

1914 से 1918 तक प्रथम विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेजों ने रालेट एक्ट के तहत प्रेस की आजादी पर प्रतिबंध लगा दिया, रालेट एक्ट के तहत बिना जाँच के किसी को भी कारागार में डाला जा सकता था । गांधी जी ने देश भर में रालेट एक्ट के विरुद्ध अभियान चलाया।पंजाब में इस एक्ट का विशेष रूप से विरोध हुआ पंजाब जाते समय में गांधी जी को कैद कर लिया गया साथ ही स्थानीय कांग्रेसियों को भी कैद कर लिया गया । 13 अप्रैल को 1919 बैसाखी के पर्व पर जिसे हिन्दू-मुस्लिम सिख सभी मनाते थे अमृतसर के जलियांवाला बाग में लोग इकठ्ठे हुए थे। जरनल डायर ने निकलने के एकमात्र रास्ता को बंद कर निर्दोष बच्चों स्त्रियों व पुरुषों को गोलियों से भून डाला एक के ऊपर एक गिर कर लाशों के ढेर लग गये जिससे पूरा देश आहत हुआ गांधी जी ने खुल कर ब्रिटिश सरकार का विरोध किया अब एक ऐसे देशव्यापी आन्दोलन की जरूरत थी जिससे ब्रिटिश सरकार की जड़े हिल जाएँ ।
खिलाफत आंदोलन के जरीये सम्पूर्ण देश में आंदोलन को धार देने के लिए हिन्दू-मुस्लिम एकता पर बल दिया औऱ सितंबर 1920 के काग्रेस अधिवेशन में खिलाफत आंदोलन को समर्थन देने के लिए सभी नेताओं को मना लिया। असहयोग आंदोलन की गांधी जी ने अपना परचम अग्रैजों के विरुद्ध पूरे देश में लहरा दिया। जिस कारण 1921-22 के बीच आयात आधा हो गया 102 करोड़ से घटकर 57 करोड़ रह गया। दिसंबर 1921 में गांधी जी को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। असहयोग आंदोलन का उद्देश्य अब स्वराज्य हासिल करना हो गया। गांधी जी ने अध्यक्ष बनते ही कांग्रेस को राष्ट्रीय फलक पर पहुँचाने की बात कही। इन्होंने एक अनुशासनात्मक समिति का गठन किया। और असहयोग आंदोलन को उग्र होने की संभवना से फरवरी 1922 में वापस ले लिया क्योंकि चौराचौरी सहित जगह-जगह हिंसक घटनाये होने लगी। पर इन्होंने अपनी बात को पूरजोर तरीके से रखना जारी रखा। 1925-1928 तक गांधी जी ने समाज सुधार के लिए भी काफी काम किया। 1926 में विश्वब्यापी मंदी के कारण कृषी उत्पादों की कीमत गिरने लगी। 1928 में उन्होने बारदोली सत्याग्रह में सरदार पटेल की मदद की। 1930 में गांधी ने दांड़ी मार्च तथा सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरु किया। कांग्रेस के अध्यक्ष नेहरु के साथ 26 जनवरी को पूर्ण स्वराज्य की घोषणा की। इस आंदोलन में 1 लाख से ज्यादा लोग गिरफ्तारी देने को तैयार थे। 1930 के बाद तो भारत की अर्थब्यवस्था पूरी तरह धरासायी ही हो गई। सन 1928 में साइमन कमीशन भारत पहुँचा तो उसका स्वागत देशवासियों ने साइमन कमीशन वापस जाओ नारे के साथ किया। धीरे –धीरे कांग्रेस का दबदबा पूरे देश में बढ़ता गया। औऱ राष्ट्र की भावना को प्रेरित कर देशवासियों को एक सूत्र में पिरोने का काम गांधी जी ने बासूबी किया। गांधी जी के बढ़ते प्रभाव के कारण देशवासी अपने आप को एक सूत्र में पिरनों लगे। इस आंदोलन को शांत करने के लिए तत्कालिन वायसराय लार्ड इरविन ने अक्टूबर 1929 में भारत के लिए डोमिनीयन स्टेट्स का गोलमोल सा ऐलान कर दिया।इस बारे में कोई सीमा भी तय नहीं किया गया और कहा गया कि भारत के संविधान बनाने के लिए गोलमेज सम्मेलन आयोजिक किया जायेगा।
1930-32 लंदन में तीन गोलमेज सम्मेलन हुआ। गांधी जी 1931 में जेल से रिहा हुए तो गांधी-इरविन–समझौता हुआ जिससे सारे कैदियों को रिहा किया गया तथा तटीय इलाके में नमक उत्पादन की छुट दी गई। पर राजनैतिक स्वतंत्रता के लिए बातचीत का आश्वासन दिया गया। गांधी जी दूसरे गोलमेज सम्मेलन में में भाग लिये पर बात कुछ खास बनी नहीं ।1935 में गर्वमेंट आँफ इंडिया एक्ट बनी फिर 2 साल बाद सीमित मताधिकार का प्रयोग करने की अनुमति दी गई। ब्रिटेन आर्मी के एक अधिकारी विंसटन चर्चिल ने इन्हें नंगा फकीर कहा जो बाद में ब्रिटेन का प्रधानमंत्री भी बना। परमाणु बम से हमले की गांधीजी ने निंदा की,आहत भी हुए पर अपना सत्य औऱ अहिंसा का मार्ग नहीं छोड़ा। सविनय अवज्ञा आंदोलन हो या सन 1942 में गांधी जी द्वारा अग्रैजों भारत छोड़ों आंन्दोलन में करो या मरो का नारा । आजादी की लड़ाई में गांधी जी का योदगान धीरे धीरे शिखर को चुमने लगा। अंत में अग्रैज विवश हो गये औऱ ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली के पहल पर कैबिनेट मिशन की घोषणा कर दी गई। ब्रिटीश कैबिनेट मिशन 24 मार्च 1946 को भारत आया। अंततः 15 अगस्त 1947 को भारत एक स्वतंत्र राष्ट्र के रुप में दुनिया के पटल पर उदय हुआ। 30 जनवरी 1948 को नाथुराम गोडसे ने दिल्ली में निर्मम रुप से हत्या कर दी।तभी से हर साल 30 जनवरी को शहीद दिवस के रुप में मनाते है। भारतीय स्वतंत्रता में गांधी जी का योगदान अद्वितीय है।आज भी हर भारतीय के जनमानस में गांधी जी का आजादी के लिए संघर्ष की दास्तान विद्यमान है औऱ गांधी के बिना भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष की कहानी मानो अधूरी है। इनके अहिंसा के रुप को देखकर संयुक्त राष्ट्र संघ ने इनके जन्म दिवस(2 अक्टूबर) पर अहिंसा दिवस मनाने की भोषणा भी कर रखा है। भारतीय राजनीति के इस महान पुरोधा को शत-शत नमन।

वरिष्ठ साहित्यकार एवं पत्रकार
मेल-lalkalamunch@rediffmail.com

Language: Hindi
Tag: लेख
528 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
उम्र  बस यूँ ही गुज़र रही है
उम्र बस यूँ ही गुज़र रही है
Atul "Krishn"
आजा मेरे दिल तू , मत जा मुझको छोड़कर
आजा मेरे दिल तू , मत जा मुझको छोड़कर
gurudeenverma198
संबंध क्या
संबंध क्या
Shweta Soni
#जलियाँवाला_बाग
#जलियाँवाला_बाग
Ravi Prakash
अक्षर ज्ञान नहीं है बल्कि उस अक्षर का को सही जगह पर उपयोग कर
अक्षर ज्ञान नहीं है बल्कि उस अक्षर का को सही जगह पर उपयोग कर
Rj Anand Prajapati
साजिशन दुश्मन की हर बात मान लेता है
साजिशन दुश्मन की हर बात मान लेता है
Maroof aalam
मुझे किराए का ही समझो,
मुझे किराए का ही समझो,
Sanjay ' शून्य'
कजरी
कजरी
प्रीतम श्रावस्तवी
बासी रोटी...... एक सच
बासी रोटी...... एक सच
Neeraj Agarwal
औकात
औकात
साहित्य गौरव
अब रिश्तों का व्यापार यहां बखूबी चलता है
अब रिश्तों का व्यापार यहां बखूबी चलता है
Pramila sultan
सफलता मिलना कब पक्का हो जाता है।
सफलता मिलना कब पक्का हो जाता है।
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
मेरे मुक्तक
मेरे मुक्तक
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
दु:ख का रोना मत रोना कभी किसी के सामने क्योंकि लोग अफसोस नही
दु:ख का रोना मत रोना कभी किसी के सामने क्योंकि लोग अफसोस नही
Ranjeet kumar patre
जब तुम्हारे भीतर सुख के लिए जगह नही होती है तो
जब तुम्हारे भीतर सुख के लिए जगह नही होती है तो
Aarti sirsat
टफी कुतिया पे मन आया
टफी कुतिया पे मन आया
Surinder blackpen
प्रतीक्षा, प्रतियोगिता, प्रतिस्पर्धा
प्रतीक्षा, प्रतियोगिता, प्रतिस्पर्धा
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
जिंदगी एक किराये का घर है।
जिंदगी एक किराये का घर है।
ज्ञानीचोर ज्ञानीचोर
जीवन चक्र में_ पढ़ाव कई आते है।
जीवन चक्र में_ पढ़ाव कई आते है।
Rajesh vyas
भूख
भूख
नाथ सोनांचली
क्या बात है फौजी
क्या बात है फौजी
Satish Srijan
तन्हाई बिछा के शबिस्तान में
तन्हाई बिछा के शबिस्तान में
सिद्धार्थ गोरखपुरी
"सम्भव"
Dr. Kishan tandon kranti
मन डूब गया
मन डूब गया
Kshma Urmila
"गूंगी ग़ज़ल" के
*Author प्रणय प्रभात*
हिंदी हाइकु- नवरात्रि विशेष
हिंदी हाइकु- नवरात्रि विशेष
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
किसी मुस्क़ान की ख़ातिर ज़माना भूल जाते हैं
किसी मुस्क़ान की ख़ातिर ज़माना भूल जाते हैं
आर.एस. 'प्रीतम'
कभी कभी अच्छा लिखना ही,
कभी कभी अच्छा लिखना ही,
नेताम आर सी
उनकी यादें
उनकी यादें
Ram Krishan Rastogi
हुआ बुद्ध धम्म उजागर ।
हुआ बुद्ध धम्म उजागर ।
Buddha Prakash
Loading...