Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Jan 2017 · 1 min read

* ऐसा क्यूं होता है ?

जाने ऐसा क्यूं होता है ?
जब मैं अपने से जुदा होता हूं
तन्हा-तन्हा मैं क्यूं होता हूं ?
जाने ऐसा क्यूं होता है ?
जब मैं अपनों से जुदा होता हूं ।
एक अजनबी सा डर लगता है
जब मैं अपनों से जुदा होता हूं ।
मेरे अपने नहीं लगते अपने
जब मैं अपनो को
बेगाना-सा लगता हूं ।
ऐसा क्यूं होता है ?
मेरी तन्हाई ओर की तन्हाई में
फर्क इतना सा मगर होता है ।
लोग तन्हाई में अकेले होते हैं
मैं महफ़िल में अकेला होता हूं
जाने ऐसा क्यूं होता है ?
दर्द बढ़ता है दर्दे दुआ करने से
फिर दर्दे-दवा की परवाह क्यूं है
जाने ऐसा क्यूं होता है ?
मैं करता हूं मुहब्बत जिससे वो
क्यूं नफ़रत करता है मुझसे ?
जाने ऐसा क्यूं होता है ?
जाम-ए-महफ़िल में होके शामिल
मैं बेनशा क्यूं होता हूं ?
जाने ऐसा क्यूं होता है ?
जब मैं अपने से जुड़ा होता हूं
तन्हा-तन्हा मैं क्यूं होता हूं ?
जाने ऐसा क्यूं होता है ?
?मधुप बैरागी

Language: Hindi
Tag: गीत
200 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from भूरचन्द जयपाल
View all
You may also like:
मतिभ्रष्ट
मतिभ्रष्ट
Shyam Sundar Subramanian
तुम बहुत प्यारे हो
तुम बहुत प्यारे हो
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
आप और हम जीवन के सच
आप और हम जीवन के सच
Neeraj Agarwal
बचपन की यादों को यारो मत भुलना
बचपन की यादों को यारो मत भुलना
Ram Krishan Rastogi
"वेश्या का धर्म"
Ekta chitrangini
*कोटि-कोटि हे जय गणपति हे, जय जय देव गणेश (गीतिका)*
*कोटि-कोटि हे जय गणपति हे, जय जय देव गणेश (गीतिका)*
Ravi Prakash
मेरे मरने के बाद
मेरे मरने के बाद
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
अपने चरणों की धूलि बना लो
अपने चरणों की धूलि बना लो
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
रमेशराज की तीन ग़ज़लें
रमेशराज की तीन ग़ज़लें
कवि रमेशराज
💐प्रेम कौतुक-515💐
💐प्रेम कौतुक-515💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
*
*"माँ वसुंधरा"*
Shashi kala vyas
सावन के झूलें कहे, मन है बड़ा उदास ।
सावन के झूलें कहे, मन है बड़ा उदास ।
रेखा कापसे
उड़ान ~ एक सरप्राइज
उड़ान ~ एक सरप्राइज
Kanchan Khanna
महिलाएं अक्सर हर पल अपने सौंदर्यता ,कपड़े एवम् अपने द्वारा क
महिलाएं अक्सर हर पल अपने सौंदर्यता ,कपड़े एवम् अपने द्वारा क
Rj Anand Prajapati
2569.पूर्णिका
2569.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
■ #मुक्तक
■ #मुक्तक
*Author प्रणय प्रभात*
मैं जी रहा हूँ जिंदगी, ऐ वतन तेरे लिए
मैं जी रहा हूँ जिंदगी, ऐ वतन तेरे लिए
gurudeenverma198
चाहत
चाहत
Sûrëkhâ Rãthí
खूबसूरत पड़ोसन का कंफ्यूजन
खूबसूरत पड़ोसन का कंफ्यूजन
Dr. Pradeep Kumar Sharma
ग़ज़ल/नज़्म - प्यार के ख्वाबों को दिल में सजा लूँ तो क्या हो
ग़ज़ल/नज़्म - प्यार के ख्वाबों को दिल में सजा लूँ तो क्या हो
अनिल कुमार
बदलते वख़्त के मिज़ाज़
बदलते वख़्त के मिज़ाज़
Atul "Krishn"
श्री रामचरितमानस में कुछ स्थानों पर घटना एकदम से घटित हो जाती है ऐसे ही एक स्थान पर मैंने यह
श्री रामचरितमानस में कुछ स्थानों पर घटना एकदम से घटित हो जाती है ऐसे ही एक स्थान पर मैंने यह "reading between the lines" लिखा है
SHAILESH MOHAN
ज़िंदगी ऐसी
ज़िंदगी ऐसी
Dr fauzia Naseem shad
उलझ नहीं पाते
उलझ नहीं पाते
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
"लक्ष्मण-रेखा"
Dr. Kishan tandon kranti
🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹
🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹
Dr Shweta sood
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
प्री वेडिंग की आँधी
प्री वेडिंग की आँधी
Anil chobisa
हर खुशी पर फिर से पहरा हो गया।
हर खुशी पर फिर से पहरा हो गया।
सत्य कुमार प्रेमी
✍️फिर वही आ गये...
✍️फिर वही आ गये...
'अशांत' शेखर
Loading...