Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Aug 2017 · 3 min read

आफत…..

आफत…
शाम का वक्त था बाजार की रौनक शुरू ही हुई थी कि मेरा महाविद्यालय से आना हुआ! अचानक ही एक हाय-हैलो वाली सखी सामने दिख गयी मुझे देखा तो हाय-हैलो हुआ उसके बाद उसने पूछा कहाँ से-मैनें कहा कॉलेज से आ रही हूँ! उसने कहा कहाँ पर है? मैंने कॉलेज का नाम बताया! दो-चार बातें हो ही गयी लेकिन उससे रहा ना गया वेतन पूछ ही लिया खैर मुझे जल्दी थी बताते हुए हम अपने गन्तव्य के लिए निकल पड़े! दूसरे साल उसी हाय-हैलो वाली सखी ने बी. एड में दाखिले के लिए मेरे कॉलेज को ही लॉक करवाया! और दिमाग तो देखो इतना अधिक कि प्रवेश के समय मेरा नाम भी बता दिया और बताया कि वो मेरी बहुत अच्छी मित्र हैं! जो कि मेरा कोई व्यक्तिगत सम्पर्क भी नहीं था उससे!सोर्स प्राचार्य से लेकर प्रवक्ता तक लगाने में कोई कोर-कसर नहीं! सहसा एक दिन मेरा घर ना जानते हुए, भी पूछते-पूछते घर आ पहुँची! घर पर पहले से ही कुछ मेहमान बैठे थे क्योंकि इतवार का दिन ही एक मिलता जिसमें घर के सारे कार्य और अपनों से मिलना हो पाता है! अब ये आफत मेरे घर आ पहुँची और पूरे तीन घण्टे दिमाग का दही बनाने में लग गयी आफत इतनी बड़ी हो गयी कि घर में बैठा अगला मेहमान हैरान-परेशान! एक ही बात को चार-पाँच बार मन अन्दर ही अन्दर झल्ला रहा था पर भारतीय परम्परा का अपमान भी तो नहीं कर सकते हैं ना क्योंकि हमारी संस्कृति और सभ्यता में “अतिथि देवो:भव”का एजेण्डा है! खैर जैसे-तैसे जान छुड़ायी और विदा किया लेकिन जाते-जाते एक आफत और मेरा मोबाइल नं ले लिया!
अब हर रोज दिन में लगभग दस बार फोन-यार थोड़ा वहाँ बात कर लेना हम कॉलेज जा नहीं पायेंगे तुम सब मैनेज कर लेना!क्योंकि हमारी कोचिंग चलती है! थोड़ा सबको समझा देना हमने कहा- ठीक है परेशान मत हो कोई असुविधा नहीं होगी!आप बिल्कुल मत परेशान होइये!लेकिन इतने से उनका दिल भरा नहीं शायद! उनको यह सही लगता था कि रोज पंच करेंगे तो प्रभाव अच्छा पड़ेगा! अब नियम पूर्वक
रोज पाँच-छ: बार फोन और हम यही कहते परेशान मत हो हमने बात कर ली है! पर उनका दिल फिर भी मुझे हर रोज दिन में चार-पाँच याद करता और वही सोर्स,सिफारिश वाली बातें और ऐसे पागलपन वाले सवाल की हद हो गयी थी बाकी कुछ नहीं!सुबह होते ही 10 से 12 कॉल लगातार फोन न उठने पर भी कॉल करना बन्द नहीं एक दिन सुबह समय की कमी होने के कारण फोन नहीं उठ पाया और कॉल की संख्या 10 थी उसे लगा कि मेरा नं देखकर फोन नहीं उठा रही है पर ऐसा था नहीं! शाम को महाविद्यालय से लौटते ही फिर नये नम्बर से फोन इत्तेफाक से सेलफोन हाथ में ही था फोन रिसीव हुआ फिर वही बात यार उनसे बात कर लेना दुनियादारी शुरू! आग तो लग गयी कि अभी पानी भी मुँह में नहीं पड़ा और ये आफत तैयार! बस क्रोध की ज्वाला भड़क ही गयी!लेकिन फिर भी मन को बहुत समझाया कि किसी को बुरा ना लगे! और मुझे साफ-सुथरे शब्दों में कहना पड़ा! बहन हम कुछ नहीं कर सकते! तुम अपने स्तर से स्वयं बात कर लो! और फोन रख दिया वो जाने क्या कह रही थी! ….
कसम से उस दिन से आधा सर का दर्द दूर हुआ और इस आफत से जान छूटी! क्योंकि अब फोन का आना बन्द हुआ!
.
शालिनी साहू
ऊँचाहार, रायबरेली(उ0प्र0)

Language: Hindi
681 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
Tum hame  nist-ee nabut  kardo,
Tum hame nist-ee nabut kardo,
Sakshi Tripathi
*हारा कब हारा नहीं, दिलवाया जब हार (हास्य कुंडलिया)*
*हारा कब हारा नहीं, दिलवाया जब हार (हास्य कुंडलिया)*
Ravi Prakash
23/154.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/154.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
किताबें
किताबें
Dr. Pradeep Kumar Sharma
दायरों में बँधा जीवन शायद खुल कर साँस भी नहीं ले पाता
दायरों में बँधा जीवन शायद खुल कर साँस भी नहीं ले पाता
Seema Verma
भँवर में जब कभी भी सामना मझदार का होना
भँवर में जब कभी भी सामना मझदार का होना
अंसार एटवी
କୁଟୀର ଘର
କୁଟୀର ଘର
Otteri Selvakumar
अब किसी से कोई शिकायत नही रही
अब किसी से कोई शिकायत नही रही
ruby kumari
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
"सोचिए जरा"
Dr. Kishan tandon kranti
तुम बहुत प्यारे हो
तुम बहुत प्यारे हो
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
"सुप्रभात "
Yogendra Chaturwedi
কেণো তুমি অবহেলনা করো
কেণো তুমি অবহেলনা করো
DrLakshman Jha Parimal
मुस्कुराते रहो
मुस्कुराते रहो
Basant Bhagawan Roy
बहुत प्यार करती है वो सबसे
बहुत प्यार करती है वो सबसे
Surinder blackpen
■ आज की बात...
■ आज की बात...
*Author प्रणय प्रभात*
"बचपन"
Tanveer Chouhan
मैं दौड़ता रहा तमाम उम्र
मैं दौड़ता रहा तमाम उम्र
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
समय
समय
Neeraj Agarwal
शिक्षक दिवस
शिक्षक दिवस
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
आया बाढ नग पहाड़ पे🌷✍️
आया बाढ नग पहाड़ पे🌷✍️
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
दुनिया दिखावे पर मरती है , हम सादगी पर मरते हैं
दुनिया दिखावे पर मरती है , हम सादगी पर मरते हैं
कवि दीपक बवेजा
Love
Love
Kanchan Khanna
साजिशें ही साजिशें...
साजिशें ही साजिशें...
डॉ.सीमा अग्रवाल
गुरु मेरा मान अभिमान है
गुरु मेरा मान अभिमान है
Harminder Kaur
दीपावली
दीपावली
Deepali Kalra
बुद्ध जी की करुणा हुई तो
बुद्ध जी की करुणा हुई तो
Buddha Prakash
इन बादलों की राहों में अब न आना कोई
इन बादलों की राहों में अब न आना कोई
VINOD CHAUHAN
मेरा जीने का तरीका
मेरा जीने का तरीका
पूर्वार्थ
जन्म गाथा
जन्म गाथा
विजय कुमार अग्रवाल
Loading...