Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Apr 2017 · 3 min read

रमेशराज के शृंगाररस के दोहे

नैन मिले ऐसे दिखी मुदित कपोलों लाज
खिलें कमल की पाँखुरी धीरे-बेआवाज़ |
+रमेशराज

दियौ निमन्त्रण प्रेम का गोरी ने मुसकाय
और लियौ मुख फिर तुरत घूँघट-बीच छुपाय |
+रमेशराज

भेजा जो खत में उसे मिलने का पैग़ाम
मुख पर अंकित हो गयी सुबह-दोपहर-शाम |
+रमेशराज

मिलत नारि लाजियाय यूं दिखें स्वेद के कोष
ज्यों गुलाब के फूल पर चमक रही हो ओस |
+रमेशराज

नैननु के संकेत पर प्रियतम यूं लजियाय
ज्यों गेंदा के फूल की डाल सखी झुक जाय |
+रमेशराज

लजियाना कुछ बोलना फिर हो जाना मौन
इसी अदा पर आपकी भला न रीझे कौन |
+रमेशराज

हरजाई की एक से क्या निभती सौगंध
नदी-नदी को पी गये सागर के अनुबंध |
+रमेशराज

वह ऐसे घुल-मिल गयी पल दो पल के बीच
एक बताशा ज्यों घुले झट से जल के बीच |
+रमेशराज

झेल रहा है जबकि मन मंहगाई की मार
मुल्तानी मिटटी लगें तेरे शिष्टाचार |
+रमेशराज

लज्जा से जल-जल भयी गोरी नैन मिलाय
जैसे सिल्ली बर्फ़ की पाकर ताप विलाय |
+रमेशराज

धीरे-धीरे इसतरह उसने त्यागी लाज
छिलका-छिलका उतरती जैसे गीली प्याज |
+रमेशराज

अपने में ही बारहा और सिमटती जाय
हल्के-से स्पर्श पर लाजवान्ति लाजियाय |
+रमेशराज

हिम पिघली लज्जा गयी कुछ बतियाये नैन
सागर के आगोश को हुई नदी बेचैन |
+रमेशराज

हर गीले स्पर्श पर वही एक अंदाज
गोरी के मुख पर दिखे ‘चटकफली’-सी लाज |
+रमेशराज

प्रथम मिलन में थी झिझक क़दम-क़दम लाजियाय
अमरबेल अब विटप से लिपट खूब हर्षाय |
+रमेशराज

इक मासूम सवाल पर , उसका था यह हाल
एक इंच ही जल छुआ , हुआ तरंगित ताल |
+ रमेशराज +

उस संकोच स्वभाव ने यूं बरसाया मेह
मन तो सूखा रह गया , केवल भीगी देह |
+रमेशराज

अति सिहरन-सी गात में , बात-बात में लाज
बहुत मधुर उर बीच है सुर सहमति का आज |
+ रमेशराज +

वज्रपात मत कीजिये , ले नैनों की ओट
खड़िया क्या सह पायगी , प्रियवर घन की चोट |
+रमेशराज

खिली धूप के रूप-सा , प्रियवर देता भास
संगति-स्वीकृत सांझ-सी , सहज कहाँ सितप्रास |
+रमेशराज

पढ़े प्रीति की रीति वह बढ़े सुमति-गति और
प्राण देखना चाहते उन्नति में रति और |
+रमेशराज

मृग-सी भटकन में नयन मन में मरु-आनन्द
कस्तूरी बनना हुआ कहाँ हृदय में बंद |
+रमेशराज

अक्सर अंतर में मुखर रहे रात-भर पीर
कभी भोग का योग था , अब वियोग के तीर |
+रमेशराज

फूल बिना हर डाल है , ताल हुआ बेहाल
हरे- भरे सपने मरे , सावन करे कमाल !
+रमेशराज

सुखद समय की लय बना , तुझसे परिचय यार
संदल से पल हों सफल , महके अविरल प्यार |
+रमेशराज

सूख गये मन के सुमन , टूट गया जब सब्र
झिलमिल – झिलमिल दिल सलिल लेकर आये अब्र |
+रमेशराज

तरल-सजल कुछ प्राण हों , जीवन का हल मेह
बादल का जल छल बना , सूखा मन का गेह |
+रमेशराज

कली कोपलें केलि बिन , अब कोयल कूकी न
कलरव के उत्सव गये , मन है पल्लव-हीन |
+ रमेशराज

करती वह छवि गाँव की अब भी मन बेचैन
झट घूँघट पट में गये बेहद नटखट नैन |
+रमेशराज

रैन दर्द का गुणनफल सुख का योग बनै न
नींद नहीं अब नैन में कहाँ चैन में बैन |
+ रमेशराज +

झुलसन में मन के सुमन , तपन जलन आबाद
तनिक सलिल मिल जाय तो दिल हो तिल-तिल शाद |
+रमेशराज

दुःख की तीखी धूप में जब गुम हो मुस्कान
ममता की छतरी तुरत माँ देती है तान |
+रमेशराज

यही हमारी ज़िन्दगी , यही मिलन का सार
गुब्बारे के भाग में आलपिनें हर बार |
+रमेशराज

दुविधा , गहन उदासियाँ , आज हमारे पास
हमें मोड़ पर छोडकर भाग गया विश्वास |
+ रमेशराज +

ताप सहे लेकिन कहे अली-अली दिन-रात
भली पली मन बेकली जली कली दिन-रात |
+रमेशराज

आँख अश्रुमय आह अति , अंतर और अज़ाब
ख्वाब आब-बिन आजकल , सूखे हुए गुलाब |
+ रमेशराज +

पंकज-से मन में चुभन , नयन-बीच तम-रोग
फाग-राग में आग अब , लिखे भाग दुर्योग |
+रमेशराज

टहनी-टहनी पर मुखर वर सुवास-मधुप्रास
फल का पीलापन कहे -मुझ में मधु का वास |
+ रमेशराज +

नसल नसल सलगा नसल , नसल नसल ताराज
सुखद-सुखद अब तो विलग अलग-थलग है प्यार |
+ रमेशराज +

नसल नसल सलगा नसल , नसल नसल ताराज
चुभन जलन मन में अगन घुटन तपन अंगार |
+ रमेशराज +

नसल नसल सलगा नसल , नसल नसल ताराज
महंक-महंक मन दे चहक, किशन किशन आवाज़ |
+ रमेशराज +

सलगा सलगा राजभा नसल नसल ताराज
इस दोहे में री सखी मुखरित यह अंदाज़ |
+ रमेशराज +

भानस भानस राजभा भानस भानस खेल
या मन में नित राधिका मोहन की रति-रेल |
+ रमेशराज +

मनमोहन की प्रीति से जुड़े नयन के तार
अब हरि बसते प्राण में गया नयन का प्यार |
+ रमेशराज +

सुखद-सुखद जबसे विलग अलग-थलग है प्यार
चुभन जलन मन में अगन, घुटन तपन अंगार |
+रमेशराज

मनमोहन की प्रीति से जुड़े नयन के तार
अब हरि बसते प्राण में , गया नयन का प्यार |
+ रमेशराज +
—————————————————————-
रमेशराज, 15/109, ईसानगर, अलीगढ़-202001

Language: Hindi
285 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
नित तेरी पूजा करता मैं,
नित तेरी पूजा करता मैं,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
"आज का दौर"
Dr. Kishan tandon kranti
तुझसे रिश्ता
तुझसे रिश्ता
Dr fauzia Naseem shad
🌹जादू उसकी नजरों का🌹
🌹जादू उसकी नजरों का🌹
SPK Sachin Lodhi
#ग़ज़ल-
#ग़ज़ल-
*Author प्रणय प्रभात*
हम अपनी आवारगी से डरते हैं
हम अपनी आवारगी से डरते हैं
Surinder blackpen
भीतर का तूफान
भीतर का तूफान
Sandeep Pande
दीपावली
दीपावली
Deepali Kalra
किस बात का गुमान है यारो
किस बात का गुमान है यारो
Anil Mishra Prahari
हमें लिखनी थी एक कविता
हमें लिखनी थी एक कविता
shabina. Naaz
राम
राम
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
Life is like party. You invite a lot of people. Some leave e
Life is like party. You invite a lot of people. Some leave e
पूर्वार्थ
बातें की बहुत की तुझसे,
बातें की बहुत की तुझसे,
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
दरदू
दरदू
Neeraj Agarwal
शेर
शेर
Monika Verma
पतझड़ से बसंत तक
पतझड़ से बसंत तक
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
खूब ठहाके लगा के बन्दे
खूब ठहाके लगा के बन्दे
Akash Yadav
धर्म निरपेक्षता
धर्म निरपेक्षता
ओनिका सेतिया 'अनु '
फितरत
फितरत
Bodhisatva kastooriya
*मुहब्बत के मोती*
*मुहब्बत के मोती*
आर.एस. 'प्रीतम'
"वट वृक्ष है पिता"
Ekta chitrangini
रहस्य-दर्शन
रहस्य-दर्शन
Mahender Singh
नियम पुराना
नियम पुराना
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
ମଣିଷ ଠାରୁ ଅଧିକ
ମଣିଷ ଠାରୁ ଅଧିକ
Otteri Selvakumar
आधी बीती जून, मिले गर्मी से राहत( कुंडलिया)
आधी बीती जून, मिले गर्मी से राहत( कुंडलिया)
Ravi Prakash
एक ही निश्चित समय पर कोई भी प्राणी  किसी के साथ प्रेम ,  किस
एक ही निश्चित समय पर कोई भी प्राणी किसी के साथ प्रेम , किस
Seema Verma
विश्व गौरैया दिवस
विश्व गौरैया दिवस
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
राशिफल
राशिफल
Dr. Pradeep Kumar Sharma
2978.*पूर्णिका*
2978.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
एक नेता
एक नेता
पंकज कुमार कर्ण
Loading...