मुक्ति
कर्म योग्यता और संस्कार
सबसे ऊपर मेरा प्यार
निस्वार्थ प्रीत जो मन लाये
मैं मेरा उसका मिट जाये
चाहे कोई विकट हो
मेरा भक्त मुझे सुन पाए
इसीलिए विशिष्ट कहलाये
हर स्थिति में सैम रहकर
मेरे निकट सदा रह पाए
पूर्ण समर्पित जो भी रहता
मेरे ह्रदय वो बस जाये
श्रेष्ठ मानव तन पाकर ही
मेरी इच्छा से मेरी ओर आये
मेरी शरण जो रह पाए
महान अस्तित्व वो बन जाये
साकार रूप का प्यार आशीष
उचित समय पर समय बताये
जो नियमो पर चले चलाये
जन्म -मरण से मुक्ति पाए