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31 Jul 2016 · 1 min read

मुक्ति

कर्म योग्यता और संस्कार
सबसे ऊपर मेरा प्यार
निस्वार्थ प्रीत जो मन लाये
मैं मेरा उसका मिट जाये
चाहे कोई विकट हो
मेरा भक्त मुझे सुन पाए
इसीलिए विशिष्ट कहलाये
हर स्थिति में सैम रहकर
मेरे निकट सदा रह पाए
पूर्ण समर्पित जो भी रहता
मेरे ह्रदय वो बस जाये
श्रेष्ठ मानव तन पाकर ही
मेरी इच्छा से मेरी ओर आये
मेरी शरण जो रह पाए
महान अस्तित्व वो बन जाये
साकार रूप का प्यार आशीष
उचित समय पर समय बताये
जो नियमो पर चले चलाये
जन्म -मरण से मुक्ति पाए

Language: Hindi
12 Likes · 352 Views
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