डॉ निर्मला गर्ग संपादित पुस्तक ‘दूसरी हिंदी’ मे कविताएं संकलित। इनकी प्रथम लघुकथा ‘औलाद का सुख’ चौथी दुनिया समाचार पत्र में छपी। अनेक सांझा संग्रह, इसके बाद समय-समय पर अनेक कहानियां, लघुकथाएं, कविताएँ, पुस्तक समीक्षा, फ़िल्म समीक्षा, आलेख, आलोचनात्मक समीक्षा देश-विदेश की विभिन्न प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं जैसे सदभावना दर्पण, संवदिया, पुरवाई (ब्रिटेन), हम हिंदुस्तानी (अमेरिका), साहित्यकुंज (कनाडा), नेशनल एक्सप्रेस, विभोम स्वर, सामायिक सरस्वती, विश्वगाथा, आगमन, अनुस्वार, पैरोकार, आधुनिक साहित्य पत्रिका, हस्ताक्षर, जामिया हिंदी विभाग की पत्रिका ‘मुजीब’ तथा लोकस्वामी, लोकमत, मुस्लिम टुडे, यूनिवर्सल कवरेज, चौथी दुनिया, भारत भास्कर, दैनिक भास्कर, अमर उजाला, इंदौर समाचार पत्र, डेल्ही हंट, अमृतविचार, हरिभूमि, 4 pm, दैनिक जनवाणी, जनहित इंडिया, प्रातः काल समाचार पत्र, मीडिया केयर, देश रोज़ाना, उजाला, मुंबई ग्लोबल, विशेष दृष्टि तथा सिटी एयर, क़ुतुब मेल, फॉलोअप, समाचार वार्ता, पार्लियामेंट स्ट्रीट, पैरोकार वार्ता के अलावा अनेक प्रतिष्ठित वेबसाइट और अनेक अखबारों में प्रकाशित हों चुकी हैं। अभी यह अंतरराष्ट्रीय पियर रिव्यूड जनरल और मासिक पत्रिका “साहित्य मेघ” में उपसंपादक के पद पर कार्यरत हैं। साहित्यिक पत्रिका ‘पैरोकार’ के संपादक मंडल में शामिल हैं। अभी तक कुल मिलाकर 35 से अधिक लघुकथाएं एवं छोटी कहानियां लिख चुकी हैं। इनकी दो कहानी :अपने- अपने दायरे’ और ‘हाजरा का बुर्क़ा ढीला है’ का मंचन आकाशवाणी हिसार तथा spotify में हो चुका हैं। इनके फ़िल्म जगत से जुड़े लेख फ़िल्म समीक्षाएं तथा साक्षात्कार निरंतर अख़बारों में प्रकाशित होते रहते हैं। इसके अलावा बिफ़्फ़ मुंबई (बॉलीवुड इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल) की पब्लिक प्रवक्ता के रूप में नियुक्त हैं। आज यह सफ़ल युवा कहानीकार, समीक्षक आलोचक और फ़िल्म समीक्षक के रूप में भी प्रतिष्ठित हैं।
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