22 Followers 0 Following Follow Share Share Facebook Twitter WhatsApp Copy link to share Copy Link copied! Report Profile suresh sangwan Joined November 2016 24724 words · 81072 views Books 0 Publish Book suresh sangwan has not yet published any book on Sahityapedia. Posts 230 View all Write Quote Write Post जब तलक ज़िंदगी है फूल की महकता है suresh sangwan हर तरफ़ फूल ही फूल खिलाते चलिये suresh sangwan छलका दिये आंसू देखा जब सूखा हमने suresh sangwan यूँ घेर लेते हैं झोंके उलझनों के मुझको suresh sangwan लिखती है तब ही कोई नज़्म शायरा suresh sangwan ज़बान पे कुछ और है दिल में है कुछ और suresh sangwan तेरे कहे का था यकीन बहुत, जाता रहा suresh sangwan ज़ज़्बात अपने हैं ख़यालात अपने हैं suresh sangwan दुनियाँ भर की खाक़ हम छानते रहे suresh sangwan ठहरे हुए पानी में पत्थर फेंकते रहे suresh sangwan More options Post Tags Summary Activity