Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Jan 2022 · 1 min read

Thandi hawayein

ٹھنڈی ہواؤں نے ایسے کنپایا، کی جی جانتا ہے۔
ساتھ تمہارا اتنا یاد آیا، کہ جی جانتا ہے۔
🌹
راحت بن کر تیری یادیں رہتی ہیں میرے دل میں۔
دل میں کتنا پیار بسایا کہ جی جانتا ہے۔
🌹
کوشش تجھے بهلانے کی جب کرنے لگتا ہوں۔
کتنا دل نے یاد دلایا کہ جی جانتا ہے۔

Language: Urdu
Tag: غزل
300 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
स्त्री चेतन
स्त्री चेतन
Astuti Kumari
किसी विमर्श के लिए विवादों की जरूरत खाद की तरह है जिनके ज़रि
किसी विमर्श के लिए विवादों की जरूरत खाद की तरह है जिनके ज़रि
Dr MusafiR BaithA
सत्य होता सामने
सत्य होता सामने
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
दो पंक्तियां
दो पंक्तियां
Vivek saswat Shukla
यह आत्मा ही है जो अस्तित्व और ज्ञान का अनुभव करती है ना कि श
यह आत्मा ही है जो अस्तित्व और ज्ञान का अनुभव करती है ना कि श
Ms.Ankit Halke jha
मौत से किसकी यारी
मौत से किसकी यारी
Satish Srijan
* नई दृष्टि-परिदृश्य आकलन, मेरा नित्य बदलता है【गीतिका】*
* नई दृष्टि-परिदृश्य आकलन, मेरा नित्य बदलता है【गीतिका】*
Ravi Prakash
खूबसूरत जिंदगी में
खूबसूरत जिंदगी में
Harminder Kaur
Blood relationships sometimes change
Blood relationships sometimes change
pratibha5khatik
बेहिसाब सवालों के तूफान।
बेहिसाब सवालों के तूफान।
Taj Mohammad
एक महिला की उमर और उसकी प्रजनन दर उसके शारीरिक बनावट से साफ
एक महिला की उमर और उसकी प्रजनन दर उसके शारीरिक बनावट से साफ
Rj Anand Prajapati
हक़ीक़त
हक़ीक़त
Shyam Sundar Subramanian
बदलते दौर में......
बदलते दौर में......
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
चूल्हे की रोटी
चूल्हे की रोटी
प्रीतम श्रावस्तवी
आया खूब निखार
आया खूब निखार
surenderpal vaidya
"ओट पर्दे की"
Ekta chitrangini
माँ (खड़ी हूँ मैं बुलंदी पर मगर आधार तुम हो माँ)
माँ (खड़ी हूँ मैं बुलंदी पर मगर आधार तुम हो माँ)
Dr Archana Gupta
23/105.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/105.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
गौतम बुद्ध रूप में इंसान ।
गौतम बुद्ध रूप में इंसान ।
Buddha Prakash
मेरे शीघ्र प्रकाश्य उपन्यास से -
मेरे शीघ्र प्रकाश्य उपन्यास से -
kaustubh Anand chandola
जीवन पर
जीवन पर
Dr fauzia Naseem shad
बुझे अलाव की
बुझे अलाव की
Atul "Krishn"
■ आज का शेर
■ आज का शेर
*Author प्रणय प्रभात*
"रेल चलय छुक-छुक"
Dr. Kishan tandon kranti
ज्ञानवान के दीप्त भाल पर
ज्ञानवान के दीप्त भाल पर
महेश चन्द्र त्रिपाठी
बिना कोई परिश्रम के, न किस्मत रंग लाती है।
बिना कोई परिश्रम के, न किस्मत रंग लाती है।
सत्य कुमार प्रेमी
// दोहा पहेली //
// दोहा पहेली //
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
हिंसा
हिंसा
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
*** रेत समंदर के....!!! ***
*** रेत समंदर के....!!! ***
VEDANTA PATEL
💫समय की वेदना💫
💫समय की वेदना💫
SPK Sachin Lodhi
Loading...