Posts Tag: V9द चौहान 287 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid VINOD CHAUHAN 22 Jun 2025 · 1 min read लौट आ लौट आ कोई बैठा है इंतजार में तेरे चार आंखें राह तकती हैं तेरे लौट आने की उम्मीद में लौट आ बहुत हुई बेकरारी कोई बैठा है इंतजार में तेरे... Hindi · V9द चौहान · कविता 1 39 Share VINOD CHAUHAN 15 Jun 2025 · 1 min read उम्मीदों से भरी आवाज बन जाए अगर जीवन किसी के वास्ते सच्ची फ़रियाद बन जाए बिखरे अरमानों की उम्मीदों से भरी आवाज बन जाए सभी के वास्ते सब कुछ नहीं होता जमाने में कहीं जीवन सुरीली... V9द चौहान · कविता 1 48 Share VINOD CHAUHAN 11 May 2025 · 1 min read कौन है माँ कौन है माँ किसी ने पूछा कौन है माँ मैने कहा, मैने कहा संसार है माँ धड़कन वही है स्वास वही है ममता प्यार दुलार है माँ मैने कहा संसार... Hindi · V9द चौहान · कविता 1 81 Share VINOD CHAUHAN 10 May 2025 · 1 min read चल अकेला ही चल चल ! अकेला ही चल अरे मुड़कर ना देख अकेला ही चल चल ! अकेला ही चल सूरज भी चले अकेला चंदा पथ पर अकेला तू क्यों डरे अकेला अकेला... Hindi · V9द चौहान · कविता 1 80 Share VINOD CHAUHAN 4 May 2025 · 1 min read ये तेरा शहर यहाँ अजनबी अंजान हूँ मैं ये तेरा शहर यहाँ अजनबी अंजान हूँ मैं देख तो ले अ जिंदगी तेरी पहचान हूँ मैं ऐसे भी तरसाना अच्छा नहीं जिंदगी तेरी खातिर हर एक लम्हा परेशान हूँ... Hindi · V9द चौहान · ग़ज़ल 1 85 Share VINOD CHAUHAN 19 Jan 2025 · 1 min read मैं बचपन को ढूंढ रहा हूँ मैं बचपन को ढूँढ रहा हूँ जगह-जगह और पल-पल पग-पग तरस रहा हूँ ढूँढ रहा हूँ वो बचपन के खेल कहाँ हैं बच्चों की वह रेल कहाँ हैं रेत के... Hindi · V9द चौहान · कविता 2 98 Share VINOD CHAUHAN 19 Jan 2025 · 1 min read खो जानी है जिन्दगी खो जाने दो खो जानी है जिंदगी खो जाने दो ना सोचो मत गम करो जो होता है हो जाने दो क्या लाए थे तुम साथ में किसको क्या ले जाना है कर... Hindi · V9द चौहान · कविता 1 95 Share VINOD CHAUHAN 19 Jan 2025 · 1 min read ईधर बिखरे उधर बिखरे ईधर बिखरे उधर बिखरे जिधर देखो उधर बिखरे ख्वाब वो जो हमने देखे बुने थे हम ही न जाने किधर बिखरे सपने संजोए थे जो हमने वो सपने हैं ढ़ेर... Hindi · V9द चौहान · कविता 3 94 Share VINOD CHAUHAN 16 Jan 2025 · 1 min read चुभन काँटों की चुभन काँटों की हो या शब्दों की मन को सताती है ये घाव कर जाती है अगन ज्वाला की हो या ह्रदय की तन को जलाती है खाक कर जाती... Hindi · V9द चौहान · कविता 2 93 Share VINOD CHAUHAN 4 Jan 2025 · 1 min read मैं समय की रेत हूॅ॑ मैं तो समय की रेत हूॅ॑ मुट्ठी में भला कब आती हूँ कितने भी करे जतन मानव हाथों से फिसल जाती हूँ मत सोच कल क्या होगा जब तक हूँ... Hindi · V9द चौहान · कविता 2 1 128 Share Page 1 Next