कभी ज्ञान को पा इंसान भी, बुद्ध भगवान हो जाता है।
ऊँचे पहाड़ों सा वो कभी, चट्टान हो जाता है, बहती नदी सा कोमल, भी इंसान हो जाता है। झूझता है आंधियां से, विशाल दरख़्त की तरह, फूंक से झोंकों से...
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