Posts Tag: स्वच्छंद कविता 4 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid आकाश महेशपुरी 13 Nov 2025 · 1 min read आत्मनिर्भर योजना (स्वच्छंद कविता) रोज़ संपन्नता और खुशी का प्रदर्शन, करता था एक ग़रीब। निकलता था पहनकर, अपनी शादी वाले, कोट-पैंट और जूते; लगाता था सेंट भी। मैंने पूछा, "क्यों करते हो ऐसा, जबकि... Hindi · स्वच्छंद कविता 47 Share आकाश महेशपुरी 2 Nov 2025 · 1 min read जब 'डायन' है महँगाई...(स्वच्छंद कविता) क्यों जाते हो सवाल पूछने, तर्क-वितर्क करने, सरकार से महँगाई पर? जबकि तुम्हीं कहा करते हो, "महँगाई डायन खाए जात है।" महँगाई यदि 'डायन' है, तो सरकार से सवाल क्यों?... Hindi · स्वच्छंद कविता · हास्य-व्यंग्य 86 Share आकाश महेशपुरी 2 Oct 2025 · 1 min read रावण (स्वच्छंद कविता) एक बात बताओ! क्यों हर वर्ष जलाना पड़ता है तुम्हें यह रावण का पुतला? हर वर्ष कहाँ से फिर आ जाता है रावण? कहीं तुम ही इसके सृजनहार तो नहीं!... Hindi · स्वच्छंद कविता 107 Share आकाश महेशपुरी 26 Sep 2025 · 1 min read उत्सव की पीड़ा दूर्गा पूजन में वृद्धाश्रम के पास एक पांडाल में जोर जोर से बज रहा था एक गीत 'बेटा के घरे कब अइबू ये माई' किंतु यह गीत शायद नहीं था... Hindi · स्वच्छंद कविता 131 Share